सिरसा में फिर पैदा हुई यूरिया खाद किल्लत, तीन हजार एमटी खाद बचा, 31 दिसंबर को मिलेंगे दो रैक
अब यूरिया खाद की भी किल्लत पैदा हो रही है। फिलहाल बिक्री केंद्रों पर 60 हजार बैग खाद उपलब्ध है और प्रतिदिन 20 से 30 हजार बैग खाद की मांग है। कृषि विभाग जल्द से जल्द खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए खाद कंपनियों से सप्लाई मांग रहा है।
जागरण संवाददाता, सिरसा : जिले में डीएपी के बाद अब यूरिया खाद की भी किल्लत पैदा हो रही है। फिलहाल बिक्री केंद्रों पर 60 हजार बैग खाद उपलब्ध है और प्रतिदिन 20 से 30 हजार बैग खाद की मांग है। ऐसे में कृषि विभाग जल्द से जल्द खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए खाद कंपनियों से सप्लाई मांग रहा है। अधिकारियों को 31 दिसंबर में दो रैक लगने की जानकारी है। दोनों रैक लगे तो किल्लत से कुछ दिन छुटकारा मिल जाएगा।
सप्ताह के दौरान केवल एक रैक खाद ही उपलब्ध हुआ है जिसमें 40 हजार बैग खाद एजेंसियों के पास पहुंचे हैं। बारिश न होने के कारण खाद की मांग कम रही वरना अन्य जिलों की तरह यहां भी लंबी लाइनें लग जाती। जहां-जहां सिंचाई हो रही है वहां-वहां खाद डाला जा रहा है। इस समय खाद की ज्यादा मांग डबवाली व कालांवाली क्षेत्र में है जबकि सिरसा में इन स्थानों की अपेक्षा खाद की मांग कुछ कम है।
गेहूं का घटा, सरसों का क्षेत्रफल बढ़ा
जिले में पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष गेहूं का क्षेत्रफल घटा है। तीन लाख दस हजार हेक्टेयर से गेहूं दो लाख नब्बे हजार हेक्टेयर में गेहूं की बिजाई हुई है। गेहूं से जो क्षेत्रफल घटा वह सरसों में बढ़ गया है। गत वर्ष सरसों की बिजाई 60 हजार हेक्टेयर में हुई थी जबकि इस बार क्षेत्रफल बढ़कर 80 हजार हेक्टेयर हो गया है। कृषि अधिकारियों के अनुसार सरसों में आधा बैग प्रति एकड़ यूरिया की खपत है जबकि गेहूं में दो बैग से अधिक खाद किसान डालते हैं। सरसों का क्षेत्रफल बढ़ने से यूरिया की मांग कुछ कम रहेगी।
किल्लत नहीं 31 दिसंबर को दो और रैक मिलेंगे
जिले में खाद की किल्लत नहीं है। समय पूर्व प्रबंध किए गए हैं। 31 दिसंबर को दो रैक लगेंगे जिसमें 5200 मीट्रिक टन खाद उपलब्ध होगी। इसके बाद जैसे ही मांग बढ़ेगी उसी अनुरूप खाद मंगा ली जाएगी। पूरे सीजन में एक लाख 10 हजार एमटी खाद की जरूरत पड़ती है और 72 हजार एमटी प्राप्त भी हो चुकी है। हर रोज का डाटा ले रहे हैं। किसानों से भी अपील है कि वे आवश्यकतानुसार खाद लें न कि उसका भंडारण करें।
सुखदेव सिंह, एसडीओ कृषि विभाग