संयुक्त मोर्चा के नेता अलग-अलग राज्यों में व्यस्त, किसानों पर आंदोलन को धार देने का जिम्मा
ज्यादातर किसान नेता तो चुनावी राज्यों की गतिविधियों में व्यस्त हो गए वहीं कुछ नेता पंजाब में भी व्यस्त हैं। ऊपर से अब फसल का सीजन आ गया है लेकिन इसके साथ-साथ आंदोलन की जो गतिविधियां तय कर रखी हैं उनको भी सफल बनाना है।
बहादुरगढ़, जेएनएन। सरकार से वार्ता को लेकर बने गतिरोध के बीच संयुक्त मोर्चा के नेता अलग-अलग राज्यों में व्यस्त हैं। वहीं धरनों पर डटे किसानों पर आंदोलन को धार देने का जिम्मा है। ज्यादातर नेता तो चुनावी राज्यों की गतिविधियों में व्यस्त हो गए, वहीं कुछ नेता पंजाब में भी व्यस्त हैं। ऊपर से अब फसल का सीजन आ गया है, लेकिन इसके साथ-साथ आंदोलन की जो गतिविधियां तय कर रखी हैं, उनको भी सफल बनाना है। आज सोमवार को किसान ट्रेड विरोध दिवस बना रहे हैं।
अन्य संगठनाें की ओर से रेलवे स्टेशनाें के बाहर किए जाने वाले प्रदर्शन में किसान संगठनों ने भी शामिल होने का आह्वान कर रखा है। इसको लेकर रेलवे पुलिस और सुरक्षा बलों की ओर से इंतजाम किए गए हैं। स्टेशनों के अंदर किसी भी तरह से कार्य बाधित न हो और ट्रेनों का संचालन सुचारु बना रहे, इसी पर जोर दिया जा रहा है। इन हालातों में माना जा रहा है कि 2 मई से पहले सरकार और किसानों के बीच बातचीत की संभावना कम है। पांच राज्यों में चुनाव के परिणाम 2 मई को ही आने हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि पांच राज्यों के नतीजे ही आंदोलन की आगे की स्थिति को स्पष्ट करेंगे। फिलहाल किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे नेता भाजपा के खिलाफ प्रचार में जुटे हैं। उनकी यह मुहिम कितना असर डालेगी, यह तो बाद में ही पता चलेगा लेकिन इतना तो साफ है कि इन राज्यों के नतीजे अगर किसान नेताओं की इच्छा के विपरीत आते हैं, तो इससे उन पर नैतिक दबाव जरूर बढ़ेगा।
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