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Unique Startup: बड़े काम का है ये कंघा, नहीं होने देगा गंजा, गजब की है खूबियां

बाल झड़ने की समस्‍या का समाधान हिसार के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के एग्री बिजनेस इन्कयूबेशन सेंटर के एक स्टार्टअप ने खोज निकाला है। प्लूटस प्लस नामक इस स्टार्ट-अप कंपनी ने दादी नानी की हिदायतों का प्रयोग किया है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Sun, 21 Nov 2021 12:17 PM (IST)Updated: Sun, 21 Nov 2021 12:17 PM (IST)
Unique Startup: बड़े काम का है ये कंघा, नहीं होने देगा गंजा, गजब की है खूबियां
हिसार एचएयू में अनोखा कंघा बनाया गया है जो गंजापन होने से बचाता है

वैभव शर्मा, हिसार। आज के समय में अधिकांश लोग बालों के झड़ने और गंजेपन की समस्या से परेशान हैं। इसके लिए हजारों रुपये के उत्पादों का प्रयोग से लेकर सर्जरी तक कराते हैं। मगर नतीजा फिर भी बहुत ज्‍यादा बेहतर नहीं रहता है। इसके साथ ही इस समस्‍या से जूझ रहे व्‍यक्ति के दिमाग में कहीं न कहीं लुक को लेकर भ्रम बना रहता है। मगर इस समस्या का हल हिसार के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के एग्री बिजनेस इन्कयूबेशन सेंटर के एक स्टार्टअप ने खोज निकाला है। प्लूटस प्लस नामक इस स्टार्ट-अप कंपनी ने दादी नानी की हिदायतों का प्रयोग किया है।

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उन्होंने नीम और शीशम के पेड़ की लकड़ी से कंघा तैयार किया है। इस कंघे से जैसे-जैसे आप बाल बनाएंगे यह लकड़ी घिसती जाएगी और नीम और शीशम में पाए जाने वाले एंटी आक्सीडेंट तत्व आपके बालों को टूटने से बचा सकेंगे। इसके लिए कंपनी ने पिछले कई दिनों से प्रयोग कर रही थी। उन्होंने लोगों पर इसे आजमाया और लोगों का फीडबैक लिया तब जाकर इस प्रोडक्ट को मार्केट में उतारा है। खास बात है कि इस कंघे की कीमत 150 रुपये से 200 रुपये तक रखी गई है। इस कंघे से सिर की त्‍वचा का रक्‍तसंचार सही बना रहता है, जिससे सिर की त्‍वचा की कोशिकाएं मृत नहीं होती हैं और रूसी भी कम होती है।

लोकल फोर वोकल के तहत काम कर रहे

स्टार्टअप की डायरेक्टर मृदुला भारद्वाज बताती हैं कि कोरोना महामारी के समय में जहां सब रोजगार, काम धंदे धरातल पर आ गए, दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। ऐसी विकट परिस्थिति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वोकल फार लोकल कैंपेन ने नई ऊर्जा को जन्म दिया। वहीं से प्लूटस प्लस ने भी एक स्टार्टअप के रूप में जन्म लिया। इस स्टार्ट-अप को शुरू करने के लिए एचएयू के विशेषज्ञों ने प्रशिक्षण दिया।

स्टार्टअप की डायरेक्टर मृदुला भारद्वाज

मंदिरों में चढ़ने वाले फूलों से बना चुकी हैं साबुन

कोरोना में किसानों की फूलों की खराब हुई खेती से हुई वहीं मंदिरों में चढ़ने वाले फूल भी आगे चलकर खराब हो जाते हैं। ऐसे में इन फूलों को वेस्ट से वेल्थ में बदलने की होड़ में फूलों से साबुन और फेस पैक बनाना शुरू किया। मंदिर में चढे हुए फूलों से भी विभिन्न उत्पाद बनाकर लोगों को देना शुरू किया। जिसमें गुलाब, गेंदा, सूरजमुखी, लैवेंडर, काफी, मोरिंगा, हल्दी, चंदन, अजवाइन, नीम, तुलसी, खीरा, ककड़ी, नीबू, संतरा, बकरी और गाय का दूध, दालें, टी ट्री, लेमन ग्रास आयल आदि सभी से सौंदर्य प्रशाधन बनाए। यह उत्पाद पूरी तरह से केमिकल फ्री हैं और प्राकृतिक और आर्गेनिक चीजों का ही इसमें प्रयोग किया गया है।

महिलाओं को दिया रोजगार

मात्र एक साल की कड़ी मेहनत की बदौलत कंपनी ने अपनी देश और विदेश में नेटवर्क फैला लिया। ग्रामीण महिलाओं और कोरोना में जिनकी नौकरी, काम धंधे खराब हो गए उन्हें हम बिना किसी निवेश के पुनः उभरने का मौका दे रहे हैं। इसमें बिहार सरकार से एमओयू कर अभी तक करीब 500 से ज्यादा महिलाओं व पुरुषों को स्टार्ट अप ट्रेनिंग भी दे चुका है।


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