मानवता की अनोखी मिसाल : 56 सालों से गरीबों को निशुल्क भोजन करवा रहे हांसी के बाबा बजरंग दास
हांसी के बाबा बजरंग दास ने एक बुजुर्ग को भूखा देखकर आश्रम में भूखे लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था 1965 में शुरू की थी। तभी से यहां निरंतर ऐसे लोगों के लिए तीनों समय भोजन की व्यवस्था की जा रही है।
हांसी [पंकज नागपाल] कोई भूखा न रहे, इस भावना के साथ शुरू किये गए बजरंग आश्रम के अपने सेवाकाल के 56 वर्ष पूरे होने जा रहे है। बजरंग आश्रम शहर का एक ऐसा स्थान है जहां तीनों समय भूखों के लिए खाना उपलब्ध होता है। कोई सीमा निर्धारित नहीं, जितने आएं उतने खाएं, ये आश्रम संचालकों की पंच लाइन है।
आश्रम में भूखे लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था 1965 में शुरू की गई थी। तभी से यहां निरंतर ऐसे लोगों के लिए तीनों समय भोजन की व्यवस्था की जा रही है जो लाेग किन्हीं कारणों से अपने लिए खाना जुटाने में असमर्थ है। आश्रम में रसोई की शुरूआत सवेरे चाय, बिस्कुट और ब्रेड के साथ होती है। दोपहर और रात को भरपेट खाने की व्यवस्था की जाती है। कोई भी व्यक्ति, कितने ही दिन यहां आकर तीनों समय अपना पेट भर सकता है। आजादी के बाद लाला बहादुर चंद सलूजा हांसी शहर में आए। पहले पहल उन्होंने भारत ड्रामेटिक क्लब का गठन कर रामलीला मंचन की शुरूआत की।
1950 में वह बाबा बजरंग दास के संपर्क में आए। फिर उन्होंने बाबा बजरंग कला मंदिर के नाम से रामलीला मंच बनाया। इसी दौरान वह सामाजिक कार्यों से जुड़े। एक दिन उन्होंने देखा कि एक बुजुर्ग व्यक्ति उनसे खाना मांग रहा है। उसने बताया कि वह पिछले तीन दिन से भूखा है। यहीं से भूखों के लिए भरपेट भोजन उपलब्ध करवाने की अवधारणा जन्मी, जिसके बाद बाबा बजरंग दास के नाम से स्थापित बजरंग आश्रम में ऐसे लोगों के लिए रसोई खोल दी गई जो किसी भी कारण से भोजन का प्रबंध करने में अक्षम है।
आश्रम की रसोई चलाने के लिए 50 हजार से अधिक राशि प्रति माह दान करता है 300 लोगों का ग्रुप
बजरंग आश्रम की रसोई चलाने के लिए शहर के करीब 300 से भी अधिक लोगों का ग्रुप बना हुआ है जो चंदे के रूप में हर महीने 50 हजार रुपये से अधिक की राशि दान के रूप में देते है। इन्हें देखते हुए शहर के अन्य लोगों ने भी दान देना शुरू कर दिया। कुछ लोग अपने परिजनों की याद में गेहूं व अन्य खाद्य सामग्री आश्रम की रसोई में उपलब्ध करवाते है जिससे रसोई लगातार चल रही है। आश्रम के प्रधान ने बताया कि यहां बेसहारा लोगों के रहने के लिए भी प्रबंध किए गये है लेकिन उसकी भी एक लिमिट है। कोई भी व्यक्ति यहां दो से तीन दिन नि:शुल्क रह सकता है। अधिक दिनों तक यहां रुकने की इजाजत नहीं है। भोजन करने की कोई लिमिट नहीं है। कितने भी लोग, किसी भी समय और कितना ही भोजन खाकर अपनी भूख शांत कर सकते है।