हिसार में परिवार की प्यास बुझाने के लिए पानी लेने गए दो सगे भाइयों की जलघर के टैंक में डूबने से मौत
पानी के टैंक से पानी भरने लगे तो अचानक 14 वर्षीय अनूप का पैर फिसल गया और टैंक में जा गिरा। अपने छोटे प्रिय भाई की जान बचाने के लिए कर्मवीर ने आव देखा ना ताव और टैंक में छलांग लगा दी। बदकिस्मती से वह भी पानी में डूब गया।
संवाद सहयोगी, हांसी। भीषण गर्मी के कहर में जलआपूर्ति ना आने से भिवानी के दुर्जनपुर गांव में मजदूर बलवान के घर में पानी खत्म हो चुका था। परिवार के अलावा घर में बंधे मवेशियों का कंठ भी सूख रहा था। पानी तलाश में बुधवार शाम बलवान के दोनों बेटे कर्मवीर व अनूप रिक्शा में खाली टंकी रखकर घर से निकल पड़े। दोनों भाई गांव के जलघर पर जाकर जैसे ही पानी के टैंक से पानी भरने लगे तो अचानक 14 वर्षीय अनूप का पैर फिसल गया और टैंक में जा गिरा। अपने छोटे प्रिय भाई की जान बचाने के लिए 18 वर्षीय कर्मवीर ने आव देखा ना ताव और टैंक में छलांग लगा दी। बदकिस्मती से कर्मबीर ना ही अनूप की जान बचा पाया और वह स्वयं भी पानी में डूब गया। टैंक में डूब रहे दोनों भाई बचाने के लिए आवाजें लगा रहे थे, लेकिन तपती दोपहरी में सूर्य के प्रोकोप से बचने के लिए लोग अपने घरों में दुबके थे और दोनों भाईयों की टैंक में डूबने से दर्दनाक मौत हो गई।
जब कई घंटों तक दोनों भाई घर नहीं पहुंचे तो पिता उन्हें ढूंढता हुआ टैंक पर पहुंचा, जहां रिक्शा खड़ी और दोनों की चप्पल टैंक के पानी में तैर रही थी। पिता बेटों को बचाने के लिए जोर-जोर से चिल्लाया और पास ही मैदान में कबड्डी खेल रहे युवा दौड़े चले आए। उन्होंने तुरंत टैंक में डुबकी लगाई और दोनों सगे भाईयों के शव निकाले। अपने होनहार बच्चों के शव देखकर पिता के आंसू नहीं रुक रहे थे और बेसुध होकर गिर पड़ा। परिवार को घटना की सूचना दी गई और दोनों भाईयों के शवों को हांसी के सिविल अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए लाया गया। मामले में जांच कर रहे हेड कांस्टेबल सुखबीर ने बताया कि मामले में परिजनों के बयानों के आधार पर 174 की कार्रवाई की है। गुरुवार सुबह शवों का पोस्टमार्टम होगा।
ग्रामीण बोले - गरीब परिवार को मिले सहायता
मृतक के परिवार के साथ काफी संख्या में ग्रामीण भी सिविल अस्पताल में पहुंचे थे। ग्रामीणों ने कहा कि मृतक बेहद गरीब परिवार से संबंध रखते थे और उनके पिता गांव में ही मजदूरी करके परिवार का पेट पालते हैं। ऐसे में दो सगे भाईयों की मौत होने से परिवार में कमाने वाला कोई नहीं बचा है। एक छोटा बेटा व बड़ी बेटी का बोझ बलवान के कंधों पर आ गया है। ग्रामीणों ने बताया कि कर्मवीर अपने पिता के साथ मजदूरी करता था और उससे ही परिवार का गुजारा चलता था।