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Tokyo Paralympic: बहादुरगढ़ पहुंचे रजत पदक विजेता योगेश कथूनिया, मां ने कहा-बेटे की मेहनत रंग लाई

टोक्यो पैरालिंपिक में डिस्कस थ्रो में रजत पदक जीतने वाले योगेश कथूनिया आज बहादुरगढ़ पहुंचे। उनका यहां पर जोरदार स्वागत किया गया। इसके बाद योगेश नजफगढ़ रोड स्थित बालाजी मंदिर में पूजा-अर्चना की और अपने पैतृक गांव के लिए निकल पड़े।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sat, 04 Sep 2021 01:00 PM (IST)Updated: Sat, 04 Sep 2021 01:00 PM (IST)
बहादुरगढ़ पहुंचने पर योगेश कथूनिया का जोरदार स्वागत।

बहादुरगढ़, जेएनएन। टोक्यो पैरालिंपिक में शानदार प्रदर्शन कर डिस्कस थ्रो में रजत पदक जीतने वाले योगेश कथूनिया बहादुरगढ़ पहुंचे। डीसी श्याम लाल पुनिया ने योगेश का स्वागत किया। बहादुरगढ़ पहुंचने पर बैंड-बाजों के साथ उनका जोरदार स्वागत किया गया। योगेश के स्वागत के लिए काफी संख्या में लोग वहां पहुंचे थे।

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बालाजी मंदिर में की पूजा अर्चना

टोक्यो पैरालिंपिक में डिस्कस थ्रो में रजत पदक जीतने वाले योगेश कथूनिया आज बहादुरगढ़ पहुंचे। उनके यहां पर जोरदार स्वागत किया गया। इसके बाद योगेश नजफगढ़ रोड स्थित बालाजी मंदिर में पूजा-अर्चना की और अपने पैतृक गांव के लिए निकल पड़े। खुली जीप में बैठाकर खेल प्रेमियों की ओर से रोड शो करते हुए उनका खाफिला उनके घर की ओर निकल पड़ा। लोगों ने फूल-मालाओं के साथ योगेश का स्वागत किया। इस दौरान लोगों ने भारत माता की जय के नारे भी लगाए। भाजपा के ओबीसी मोर्चा के जिलाध्यक्ष धर्मवीर वर्मा ने भी उनके स्वागत के लिए खास तैयारी कर रखी है। 

मां बोली बेटे की मेहनत रंग लाई

पैरालिंपिक में रजत पदक जीतने के बाद योगेश की मां भावुक हो गई थी। जिस तरह से लोगों ने योगेश को पलकों पर बिछाया ये देखकर मां ने कहा कि बेटे की मेहनत आज रंग लाई है। जिस हालात में बेटे को बड़ा किया उस समय कभी ये नहीं लगा कि मेरा बेटा फिर से खड़ा हो पाएगा। 8 साल की उम्र में योगेश पैरालाइज हो गया था। उस दौरान हमने उम्मीद छोड़ दी थी कि योगेश अपने पैरों पर कभी खड़ा होगा। लेकिन हमने हार नहीं मानी और योगेश ने अपनी मेहनत के दम पर ना सिर्फ खुद को खड़ा किया। बल्कि आज उसने पूरे देश का मान बढ़ाया है। 

दिल्ली में रहकर किया अभ्यास

वैसे तो योगेश का परिवार मूल रूप से क्षेत्र के गांव मांडौठी का निवासी है। मगर काफी वर्षाें पहले बहादुरगढ़ आ गए थे। योगेश के पिता ज्ञानचंद सेना में आनरेरी कैप्टन रहे हैं। ऐसे में योगेश ने दिल्ली में रहकर ही अभ्यास किया और पदक जीते। बहादुरगढ़ मेंं योगेश के दादा-दादी, चाचा व परिवार के अन्य लोग रहते हैं। आठ साल की उम्र में पैरालाइज हुए योगेश ने पैरालिंपिक में भाग लेते हुए पहली बार में ही रजत पदक जीत लिया। अब योगेश के बहादुरगढ़ लौटने का इंतजार है। उधर, सरकार की ओर से योगेश को इनाम स्वरूप चार करोड़ रुपये नकद व नौकरी देने की घोषणा कर रखी है।


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