हरियाणा में फिर हमला कर सकता है टिड्डी दल, जमीन में अंडे देते हुए वीडियो आया सामने
भिवानी के किसानों का कहना है टिड्डियों ने भारी मात्रा में अंडे दिए हैं। बारिश शुरू होते ही इनका प्रजनन काल भी शुरू हुआ था। टिड्डियों का अंडे देते हुए वीडियो भी वायरल हुआ है
भिवानी/ढिगावा [मदन श्योराण]। हरियाणा में टिड्डियों का प्रकोप एक बार थम चुका है। मगर अब इनकी संख्या कई गुना और रफ्तार से फैल सकती है। क्योंकि भिवानी जिले के गांव अमीरवास, बुढेड़ा, बिठण, नकीपुर और चैहड़ गांव में टिड्डियों के दल ने लगातार तीन दिन पड़ाव डाला था। भिवानी के किसानों का कहना है टिड्डियों ने भारी मात्रा में अंडे दिए हैं। बारिश शुरू होते ही इनका प्रजनन काल भी शुरू हुआ था। टिड्डियों का अंडे देते हुए वीडियो भी वायरल हुआ है। जिसमें दिखाया जा रहा है कि टिड्डियां जमीन के अंदर अंडे दे रही हैं। बता दें कि एक सप्ताह पहले ही सिरसा और भिवानी में टिड्डियों के विशाल दल फसलों पर हमला कर दिया था। सिरसा में इसका और भी ज्यादा नुकसान हुआ था।
टिड्डी का जीवन चक्र इस प्रकार
कृषि अधिकारी चंद्रभान श्योराण के अनुसार भारत में पाई जाने वाली रेगिस्तानी टिड्डी को सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। एक स्क्वेयर किलोमीटर में टिड्डी दल में आठ करोड़ के लगभग टिड्डी हो सकती हैं, टिड्डी जहां बैठती हैं वहां विश्राम के समय मादा टिड्डी अपने उदर भाग को लगभग जमीन में 15 सेंटीमीटर गहराई तक जमीन में दबा कर अंडे देती है। एक मादा टिड्डी एक बार में 40 से 120 तक अंडे दे सकती है। अपने पूरे जीवन चक्र में 2 से 3 बार कुल 200 से 250 तक अंडे दे सकती है। अंडों का साइज चावल के दाने के आकार का होता है और रंग नारंगी अथवा पीला होता है। जमीन में अंडे देती है और 10 से 30 दिन बाद फांका जिसको शिशु कहते हैं जिनका रंग काला अथवा भूरा होता है ज़ब जमीन से निकलते हैं।
जमीन में फुदक फुदक कर चलते रहते हैं और फ़सल की कोमल पत्तों को खाते रहते हैं। यह शिशु जिन्हें फ़ाक़ा भी कहते हैं फसलों के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदायक और हानिकारक होता है। 20 से 25 दिन बाद यह शिशु वयस्क हो जाते हैं जिन्हें होपर भी कह देते हैं। टिड्डी तीन रंगों की होती हैं , गुलाबी, भूरी और पीली। पीले रंग की टिड्डी अंडे देती हैं। संभोग के 24 घंटे बाद अंडे देती है। अपने 12 सप्ताह के पूरे जीवन काल में एक टिड्डी 5 से 7 दिन में 200 से 250 तक अंडे दे सकती है। 2 सप्ताह बाद शिशु निकलते हैं और 5 स्टेज से होकर 3 सप्ताह में प्रोढ हो जाते हैं। इस तरह से इनकी संख्या करोड़ों में हो जाती है जो फसलों में बहुत ज्यादा हानि पहुंचाते हैं।
भारत में टिड्डी दल कहां से आता है
टिड्डी एक मरुस्थलीय कीट है, कुछ लोग इसको छोटे सिंह वाला ग्रास हॉपर भी कहते हैं क्योंकि यह ( एक्री डीडी) परिवार से संबंध रखता है। यह कीट मुख्यतः कैस्पियन सागर के आसपास ईरान ,अफगानिस्तान ,अरब देशों में पाई जाती है। यह कीट भूख मिटाने और प्रजनन के लिए पाकिस्तान होते हुए भारत के राजस्थान राज्य के मरुस्थली इलाके में प्रवेश करता है और जहां भी पेड़, पौधे अथवा फसलें दिखाई दें वहां नुकसान पहुंचाता है। यह कीट पूरे विशाल दल के साथ उड़ान भरता है जो कि हजारों की संख्या में होते हैं तथा 1 दिन में ही हवा की दिशा में ही उड़ता है तथा प्रतिदिन 150-200 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। अनुमान से 1 किलोमीटर के इलाके में 5-6 करोड़ टिड्डी हो सकती है तथा जिस भी खेत में बैठती हैं पूरे खेत की फसल, पेड़ पौधों को संपूर्ण चट कर जाती हैं।