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कोराेना की तीसरी लहर से बचाव के लिए तीसरी डोज बनेगी ढाल, आज से हो रहा है आगाज

60 वर्ष से अधिक उम्र के नागरिक जो किसी बीमारी से पीड़ित हैं उनको तीसरी डोज लगेगी। आज सोमवार से आगाज हो रहा है। यह बूस्टर डोज होगी। जिस वैक्सीन की पहली दो डोज लगी हैं उसी वैक्सीन की तीसरी डोज बूस्ट के तौर पर दी जा रही है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 10 Jan 2022 08:21 AM (IST)Updated: Mon, 10 Jan 2022 08:21 AM (IST)
कोराेना की तीसरी लहर से बचाव के लिए तीसरी डोज बनेगी ढाल, आज से हो रहा है आगाज
बीमार बुजुर्गों, स्वास्थ्य कर्मी और फ्रंटलाइन वर्कर हैं संवेदनशील, पहले इन्हें ही लग रही तीसरी डोज

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : वैक्सीन जब आई तो उसके दो-तीन महीने बाद ही कोरोना की दूसरी लहर ने भी दस्तक ने दी थी। जब वैक्सीनेशन का दायरा बढ़ता गया तो केस घटते गए। तीसरी लहर आ चुकी है। केस रोजाना बढ़ रहे हैं, लेकिन राहत यह है कि कुछ मामलों को छोड़ बाकी की हालत गंभीर नहीं हो रही। हालांकि सावधानी और सतकर्ता भी उतनी ही जरूरी है जितनी वैक्सीन। इस बीच जिन बुजुर्गों, स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन वर्करों के लिए कोरोना की यह तीसरी लहर संवेदनशील है, उनके लिए वैक्सीन की तीसरी डोज ढाल बनेगी।

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60 वर्ष से अधिक उम्र के नागरिक जो किसी बीमारी से पीड़ित हैं, उनको तीसरी डोज लगेगी। आज सोमवार से आगाज हो रहा है। यह बूस्टर डोज होगी। जिस वैक्सीन की पहली दो डोज लगी हैं, उसी वैक्सीन की तीसरी डोज बूस्ट के तौर पर दी जा रही है। ताकि कोरोना से बचाव के लिए शरीर में एंटीबाडी बनी रहे। यह डोज पात्र बुजुर्गों के अलावा स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंट लाइन वर्करों को भी लगेगी। कोरोना से जंग में फ्रंट लाइन वर्करों और स्वास्थ्य कर्मियों की ड्यूटी में काफी रिस्क रहता है।

मरीजों का टेस्ट और इलाज करते हुए स्वास्थ्य कर्मी भी पाजिटिव हो रहे हैं। ऐसे में उनके बचाव के लिए तीसरी डोज दी जा रही है। जिनको दूसरी डोज लगे हुए नौ महीने हो चुके हैं। उन्हें तीसरी डोज लगेगी। 16 जनवरी 2021 से वैक्सीनेशन शुरू हुआ था। जाहिर है कि ऐसे में जिन्होंने शुरूआत में वैक्सीन लगवाई थी और दूसरी डोज भी समय पर लगी थी। अब वे तीसरी डोज ले पाएंगे।

झज्जर जिले में वैक्सीनेशन के नोडल अधिकारी डा. संजीव मलिक ने बताया कि अभी तक के अध्ययन में पाया गया है कि वैक्सीन की दूसरी डाेज के बाद शरीर में कोरोना से लड़ने की जो शक्ति (एंटीबाडी) विकसित होती है। वह नौ महीने बाद कुछ कम होने की संभावना रहती है। इसलिए कोरोना से बचाव के लिए तीसरी डोज दी जा रही है।


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