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किसी फिल्म से कम नहीं हरियाणा इन 3 भाइयों की कहानी, जिंदादिली सेे हर ली भाई की पीड़ा

हरियाणा के डबवाली के तीन भाइयों ने समाज के आगे रिश्तों की मिसाल पेश की है। सबसे छोटा किडनी रोग से ग्रसित हुआ तो अविवाहित मंझले ने किडनी दे दी। सवाल था कि परिवार को कौन संभालेगा तो बड़ा आगे आया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 13 Dec 2020 11:29 AM (IST)Updated: Sun, 13 Dec 2020 12:30 PM (IST)
किसी फिल्म से कम नहीं हरियाणा इन 3 भाइयों की कहानी, जिंदादिली सेे हर ली भाई की पीड़ा
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद अस्पताल में खुश कुणाल।

डबवाली, [डीडी गोयल]। 34 साल के कुणाल को लॉकडाऊन में पता चला कि उसकी किडनी काम नहीं कर रही। बीमारी जानने के बाद परिवार को टेंशन हो जाएगी, यह सोचकर वह खामोश हो गया। एक दिन बड़े भाई अमित भटनागर ने उसे दवा लेते पकड़ लिया। बीमारी पूछी और सीधा डॉक्टर के पास गया तो वहां हालात जानकर पैरों तले से जमीन खिसक गई। डॉक्टर ने फौरन डायलसिस करवाने की सलाह देते हुए दो टूक कहा था-किडनी नहीं मिली तो जिंदगी खत्म।

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सवाल था किडनी कौन देगा? ऐसे में अमित-कुणाल का मंझला भाई सुमित आगे आया। दोनों का डीएनए मैच कर गया। करीब 8 माह में कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद 9 दिसंबर को पंचकूला के निजी अस्पताल में सुमित की किडनी कुणाल के शरीर में ट्रांसप्लांट हुई है। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि तीन भाइयों के मजबूत रिश्ते की जिंदादिली है। बता दें, परिवार डबवाली के वार्ड नं. 15 में किराए पर रहता है। तीनों भाई शहर में स्थित दुकानों पर कार्यरत हैं।

लोगों ने खोल दिए मंदिरों के गुल्लक

किडनी ट्रांसप्लांट पर करीब 6.50 लाख रुपये खर्च आया। अब सवाल है कि परिवार बेहद जरुरतमंद था तो बंदोबस्त कैसे हुआ? यह जानने के लिए आपको डबवाली की संस्कृति से रू-ब-रू करवाते हैं। यहां अगर कोई जरुरतमंद परिवार पीड़ा में है तो लोग उसके दुख हर लेते हैं। इस मामले में ऐसा ही हुआ। लोगों ने घरों में मंदिरों के गुल्लक खोल दिए तो वहीं टीम अपने ने लोगों से जुटाए 1.90 लाख रुपये, सीनियर सिटीजन वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़े लोगों ने पेंशन से 50 हजार रुपये का सहयोग दिया। गुप्तदान करने वाले लोग भी पीछे नहीं रहे तो फिर विधायक अमित सिहाग ने 20 हजार, पूर्व विधायक डॉ. सीता राम ने 10 हजार का सहयोग देकर यज्ञ में आहुति डालने का काम किया।

9 घंटों में हुआ किडनी ट्रांसप्लांट

किडनी ट्रांसप्लांट करने में करीब 9 घंटे का समय लगा। अमित भटनागर के अनुसार सुबह करीब 7 बजे सुमित को ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया था। करीब दो घंटे बाद कुणाल को ले जाया गया। शाम करीब 4.30 बजे डॉ. नीरज गोयल बाहर आए। उन्होंने जानकारी दी कि ट्रांसप्लांट सफल रहा है। यहां लोगों ने पैसा देकर मदद की तो वहीं मामा को बचाने के लिए भांजे गगनदीप तथा दोस्त अमित ने खूनदान किया।

दो लोगों की पहल को करीर ने अंजाम तक पहुंचाया

कुणाल डबवाली के मीना बाजार में रेडिमेड शोरूम पर कार्य करता है। शोरूम मालिक अनिल सिंगला उर्फ गोगी तथा राजेश जैन ने मामले को लोगों के आगे रखा था। बताया जाता है कि राजस्थान में कुणाल का चेेकअप करवाया गया था। वहां चिकित्सक ने बड़ा बजट बताया था। बाद में मामला समाजसेवी रेडियोलॉजिस्ट डॉ. विवेक करीर के संज्ञान में आया। उन्होंने पंचकूला के डॉ. नीरज गोयल को फाइल भेजी तो वे कम बजट में ऑपरेशन के लिए सहमत हो गए।

अब लोगों की मदद करूंगा

कुणाल के बड़े भाई अमित भटनागर का कहना है कि किडनी ट्रांसप्लांट करने वाले डॉ. नीरज गोयल का कहना है कि मेरे भाई को कुछ दिन बाद छुट्टी मिल जाएगी। यह सब लोगों के सहयोग से संभव हो पाया है। किडनी ट्रांसप्लांट की कानूनी प्रक्रिया काफी लंबी है। मैं आठ माह में इससे निकला हूं, मुझे पता लग गया है कि किस स्टेज पर कैसे काम होना है। इसलिए अब किडनी पीडि़त लोगों की कानूनी प्रक्रिया पूरी करवाने में मदद करूंगा। बेशक चाहे मुझे अपना काम क्यों न छोडऩा पड़े।

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