सरकारी स्कूलों में बदलाव को 90 हजार अभिभावक जोड़े, ई-पीटीएम में लिया रिव्यू
प्राइवेट स्कूलों में पेरेंट्स मीटिग आपने सुनी होगी। इन बैठकों के माध्यम से स्कूल शिक्षा में बुनियादी सुधार करते हैं। सरकारी शिक्षा प्रणाली में यह प्रक्रिया पूरी तरह से लागू नहीं हो पाती है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि अभिभावकों के पास भी समय नहीं है। ऐसे में इस बार कोविड-19 को देखते हुए शिक्षा विभाग ने ई-पीटीएम (पेरेंट्स टीचर्स मीटिग) आयोजित कराई।
वैभव शर्मा, हिसार
प्राइवेट स्कूलों में पेरेंट्स मीटिग आपने सुनी होगी। इन बैठकों के माध्यम से स्कूल शिक्षा में बुनियादी सुधार करते हैं। सरकारी शिक्षा प्रणाली में यह प्रक्रिया पूरी तरह से लागू नहीं हो पाती है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि अभिभावकों के पास भी समय नहीं है। ऐसे में इस बार कोविड-19 को देखते हुए शिक्षा विभाग ने ई-पीटीएम (पेरेंट्स टीचर्स मीटिग) आयोजित कराई। जिसमें रिकॉर्डतोड़ 90 हजार अभिभावक जुड़े। यह प्रक्रिया कक्षा एक से 12वीं तक के स्कूलों के प्रबंधन द्वारा ही आयोजित कराई थी।
ई-पीटीएम को कराने का सबसे बड़ा कारण यह है कि इसके लिए अधिक से अधिक अभिभावकों को जोड़कर उनसे रिव्यू लिया जा सके, ताकि आने वाले समय में पढ़ाई को और आसान किया जाए। मौजूदा समय में कोविड को देखते हुए वह किस प्रकार की पढ़ाई को वरीयता देते हैं। सरकारी शिक्षण संस्थानों से उनकी आशा क्या है। ई-पीटीएम को आयोजित करते समय किसी को भी आशा नहीं थी कि इतनी बड़ी संख्या में लोग जुड़ सकेंगे। अभिभावकों से पूछे गए प्रश्नों में यह बिदु मुख्य रूप से शामिल
घर से पढ़ने में बच्चे का क्या मन लगता है
अभिभावकों से पूछा गया कि घर से पढ़ाओ अभियान के बारे में आपका बच्चा कैसा महसूस करता है। क्या वह ऑनलाइन पढ़ाई से संतुष्ट है। क्या वह पूरी तरह से पढ़ पा रहा है। कक्षा जितना ही उसे यहां समझ में आता है। इस प्रश्न पर अभिभावकों की अलग-अलग राय थी। अधिकांश ने यही कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई अच्छी तो है, मगर कई बार इंटरनेट कनेक्टिविटी न होना एक बड़ी समस्या है। ऑनलाइन पढ़ाई में डाटा जल्दी समाप्त हो जाता है। घर में एक ही फोन हो तो और भी दिक्कत है। इसके अलावा इस अभियान में आ रही दिक्कतों को भी लिखा गया ताकि आगे सुधार किया जा सके। गृहकार्य ठीक से मिल रहा है
इसके साथ ही ई-पीटीएम में शिक्षकों ने पूछा कि उनके बच्चों को अध्यापकों द्वारा समय-समय पर क्या गृहकार्य मिल रहा है। गृह कार्य को करने में बच्चा रुचि दिखा रहा है या नहीं, जैसे प्रश्नों पर अभिभावकों ने कहा कि यह काम ठीक चल रहा है। गृह कार्य समय पर होता है।
इसके साथ ही कुछ बच्चे ऐसे भी थे कि जिन्होंने हाल ही में घर से पढ़ाओ अभियान में आयोजित कराए गए क्विज में भाग नहीं लिया। अभिभावकों से इसका कारण भी पूछा गया। इसके साथ ही एजुसेट जैसे कार्यक्रमों के प्रसारण पर भी सवाल किए गए। शिक्षा मित्र कौन बन सकता है
शिक्षा विभाग ने हाल ही में शिक्षा मित्र अभियान शुरू किया है। जिसके माध्यम से जिन सरकारी स्कूलों के बच्चों के पास एंड्रायड फोन नहीं है, उनकी पढ़ाई के लिए उनके परिजन या कोई पड़ोसी उनका शिक्षा मित्र बन सकता है। वह बच्चों को अपनी मोबाइल देकर पढ़ाई करने में मदद कर सकता है।