थाई एप्पल बेर व ड्रैगन फ्रूट ने सिरसा के किसान सुरेंद्र की बदली किस्मत, बने उदाहरण
सिरसा के गांव बकरियांवाली के किसान सुरेंद्र छाबड़ा ने परंपरागत खेती के साथ थाई एप्पल बेर का बाग व ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाकर कर कमाई का जरिया खोजा। उसने अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए बागवानी करने की ठानी। कामयाब हुए।
सिरसा, जेएनएन। ऐसे बहुत से किसान हैं जो परंपरागत खेती छोड़कर नए कृषि क्षेत्र में अपनी किस्मत आजमाते हैं। कामयाब भी होते हैं। ऐसे ही सिरसा के गांव बकरियांवाली के किसान सुरेंद्र छाबड़ा ने परंपरागत खेती के साथ थाई एप्पल बेर का बाग व ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाकर कर कमाई का जरिया खोजा। उसने अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए बागवानी करने की ठानी। इससे जहां किसान की किस्मत बदल दी है। इसी के साथ दूसरे किसान भी थाई एप्पल के बाग लगाने लगे हैं।
-----इंटरनेट मीडिया से ली जानकारी
सुरेंद्र छाबड़ा ने बताया कि आठवीं कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद स्कूल छोड़ दिया। इसके बाद परिवार के साथ खेती कार्य कमें साथ देने लगा। बाद में मिस्त्री का काम भी शुरू किया। लेकिन मंहगाई के जमाने में परंपरागत खेती लगातार घाटे का सौदा बनती जा रही है। एक दिन कृषि के साथ-साथ कोई ऐसा कृषि से संबंधित कार्य करने की सोची। इंटरनेट मीडिया पर थाई एप्पल बेर लगाने के बारे में जानकारी जुटाई। राजस्थान में भी कई स्थानों पर थाई एप्पल बेर के बाद देखने गया। इसके बाद अपने खेत में आधा एकड़ में थाई एप्पल बेर लगाकर उनकी देखभाल शुरू की। इसी के साथ एक साल बाद 255 ड्रैगन फ्रूट के पौधे लाकर लगाएं। इससे अच्छी आमदनी होने लगी। वही बेर बेचने में भी कोई परेशानी नहीं हुई।
--- सिंचाई की भी कम आवश्यकता
सुरेंद्र ने बताया कि थाई एप्पल बेर में सेब जैसा स्वाद होता है। तथा थाई एप्पल बेर के पौधे में पानी की भी कम आवश्यकता होती है। इससे कम पानी वाली जगह पर भी अच्छी पैदावार ली जा सकती है इसके अलावा ड्रैगन फ्रूट का प्रयोग विभिन्न प्रकार की औषधियों में किया जाता है। ड्रैगन फ्रूट जिसे पिताया फल नाम से भी जानते हैं, इसे ज्यादातर मेक्सिको और सेंट्रल एशिया में खाया जाता है। यह फल खाने में काफी कुछ तरबूज की तरह मीठा होता है।