गांव में दौड़ी तो मिले ताने, शहर आकर पूरा किया सपना, मेडल जीत रहीं नैंसी
किराये के मकान में रह रही नैंसी अब साउथ एशियन गेम्स में भारत का करेंगी प्रतिनिधित्व एमडीयू के एथलेटिक्स ट्रक पर कोच रमेश सिंधू के पास छह साल की मेहनत ला रही रंग
रोहतक, जेएनएन। छह साल पहले गांव के खेतों में दौड़ लगाने पर एक बेटी को ग्रामीण ताने देते थे। जिसके चलते उन्होंने शहर में आकर अभ्यास करना शुरू किया। वे अब मेडल पर मेडल जीत रही हैं। उनकी प्रतिभा के दम पर ही उनका चयन अब साउथ एशियन गेम्स में हो गया है। जिसमें वे अब भारत का प्रतिनिधि करने नेपाल गई हैं। यहां हम बात कर रहे हैं एमडीयू के एथलेटिक्स ट्रैक पर अभ्यास करने वाली धावक नैंसी की। जो छह साल से कोच रमेश सिंधू के निर्देशन में अभ्यास कर रही हैं।
मूलरूप से झज्जर के दहकोरा गांव निवासी नैंसी रोहतक की देव कालोनी में छह साल से किराये के मकान में रह रही है। इसके पीछे खेल के प्रति उनका जुनून है। उनके उद्यमी पिता बलजीत सिंह भी बेटी के जुनून को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोडऩा चाहते। बलजीत का कहना है कि वे खुद रोजाना गांव से रोहतक आते हैं। बेटी के उम्दा प्रदर्शन से वे भी खुश हैं। एमकेजेके कालेज में बीएससी प्रथम वर्ष में शिक्षा ग्रहण कर रही नैंसी ने इसी साल विजयवाड़ा में हुए नेशनल खेलों में गोल्ड मेडल जीता है। नैंसी के खेल के प्रति जुनून के चलते उनकी छोटी बहन दीपांशी भी इसी राह पर बढ़ चली हैं। दौड़ में वे भी नेशनल स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर रही है।
नेशनल में जीत चुकी हैं गोल्ड
एथलेटिक कोच रमेश सिंधू का कहना है कि एमडीयू के खेल मैदान पर नैंसी करीब छह साल से मेहनत कर रही हैं। इसी साल विजयवाड़ा में हुए नेशनल खेलों की अंडर-20 आयु वर्ग की 400 मीटर दौड़ में भी नैंसी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए प्रथम स्थान हासिल किया था। नैंसी का चयन साउथ एशियन गेम्स के लिए हुआ है। वे अब नेपाल में होने वाले इन खेलों में अपनी प्रतिभा दिखाएंगी। 12 दिसंबर तक होने वाले इन खेलों में वे रिले दौड़ में भाग लेकर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। नेपाल में भी उनसे मेडल जीतने की उम्मीद है।