बर्ड फ्लू, जापानी बुखार जैसी जूनोटिक बीमारियों का हरियाणा में शुरू हुआ सर्वे
- हरियाणा में बनाई एक्सपर्ट की टीम अब राजस्थान पंजाब चंडीगढ़ में गठित होंगी टीमें जाग
- हरियाणा में बनाई एक्सपर्ट की टीम, अब राजस्थान, पंजाब, चंडीगढ़ में गठित होंगी टीमें
जागरण संवाददाता, हिसार: पशुओं से इंसानों और इंसानों से पशुओं में फैलने वाली बीमारियों (जूनोटिक डिजीज) की पहचान का काम अब हरियाणा में शुरू हो गया है। इसके लिए राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीई) ने राज्य स्तर पर टीमों का गठन कर दिया है। जिसमें हर जिले में एक पशु चिकित्सक व एक मेडिकल अफसर, यानि कुल 44 चिकित्सकों और उनके ऊपर एक-एक राज्य स्तरीय मेडिकल अफसर को भी शामिल किया गया है। जिन्हें सर्वे की जिम्मेदारी दे दी गई है। हरियाणा के बाद अब राजस्थान, पंजाब, चंडीगढ़ में भी सर्वे के लिए टीमों का गठन किया जा रहा है। यह सभी काम वन हेल्थ कार्यक्रम के तहत किया जा रहा है। इससे पहले एनआरसीई ने इन राज्यों से जुड़े चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया था। लंबे समय तक इस सर्वे के काम को किया जाएगा।
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सर्वे में बीमारियों को पहचानने का होगा काम
हरियाणा पंजाब क्षेत्र में एनआरसीई के निदेशक डा. यशपाल के नेतृत्व में वन हेल्थ कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसको लेकर प्रधान विज्ञानी डा. बीआर गुलाटी बताते हैं कि सर्वे के कार्य में प्रमुख बात यह है कि पशु चिकित्सक और मेडिकल चिकित्सकों के पास अगर कोई मरीज ऐसा आता है जिसमें जूनोसिस बीमारियों के लक्षण हैं तो उनकी सैंपलिग और टेस्टिग दोनो ही कार्य होंगे। मामले की पुष्टि होने पर उसे रिपोर्ट कर उपचार किया जाएगा ताकि उस बीमारी को आगे फैलने से रोका जाए। हरियाणा प्रदेश में यह काम शुरू हो चुका है। अगले माह से रिपोर्ट आनी भी शुरू हो जाएगी।
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पहले जूनोटिक बीमारियों में ये होता था
वन हेल्थ कार्यक्रम से पहले पशुओं और इंसानों में बीमारियों का चिकित्सक उपचार तो करते थे, मगर यह पहचान काफी मुश्किल से होती थी कि मरीज या पशु को किसी प्रकार की जूनोटिक बीमारी है। उदाहरण के लिए अगर किसी को कोरोना है और उपचार बुखार और सर्दी जुकाम का चल रहा है तो मरीज को फायदा नहीं मिलेगा, इसके साथ ही यह बीमारी दूसरे लोगों को भी संक्रमित करेगी। जूनोटिक बीमारियों में डेंगू, मलेरिया, चिकिनगुनिया, साल्मोनेला, ब्रूसोलिसिस, जापानी दिमागी बुखार, रेबीज, बर्ड फ्लू आदि बीमारियां शामिल हैं। यह जीवाणु, परजीवी, विषाणु और फंगस से भी हो सकती हैं।