टिकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन में फिर पहुंचने लगे समर्थन करने वाले संगठन, मानसा से पहुंचे वकील
हरियाणा की विभिन्न खापें तो इस आंदोलन में जान डालने में जुटी ही हैं। अब पंजाब से भी नया जोश भरने का प्रयास तेज हो रहा है। बुधवार को पंजाब के मानसा की बार एसोसिएशन से अधिवक्ता किसानों के समर्थन में टीकरी बॉर्डर पर पहुंचे।
बहादुरगढ़, जेएनएन। किसान आंदोलन को फिर से तेज करने की कोशिशों के बीच अब समर्थन का सिलसिला नए सिरे से शुरू हो रहा है। हरियाणा की विभिन्न खापें तो इस आंदोलन में जान डालने में जुटी ही हैं। अब पंजाब से भी नया जोश भरने का प्रयास तेज हो रहा है। बुधवार को पंजाब के मानसा की बार एसोसिएशन से अधिवक्ता किसानों के समर्थन में टीकरी बॉर्डर पर पहुंचे। दिन भर हरियाणा के गांवों से ट्रैक्टर-ट्रालियों में महिलाओं के जत्थे पहुंचने का सिलसिला चलता रहा।
मंच पर तो कई बार महिलाओं ने गीत गाकर अपनी भावनाएं व्यक्त की। जहां पर किसानों की सभा चलती है, वहां आसपास में कई नए तंबू लग गए हैं। अब मंच के दूसरी तरफ भी तंबू लगाया गया है। किसानों की ओर से बैरिकेडिंग के नजदीक जाने का रास्ता भी बंद कर दिया गया है। सांगवान खाप, अहलावत खाप, बिनैण खाप, दलाल खाप समेत कई खाप संगठनों ने सक्रियता बढ़ा रखी है। हालांकि इनमें से ज्यादातर के तंबू पहले से लगे हैं, मगर 26 जनवरी के बाद से बदले हालातों के बीच अब नजारा भी बदल रहा है।
न्यूनतम मूल्य संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रदीप धनखड़ ने कहा कि यह किसानों के लिए जीने-मरने का सवाल है। तीन कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी पर कानून से कम सरकार का कोई प्रस्ताव किसानों काे मंजूर नहीं है। वहीं पंजाब के किसान नेता प्रगट सिंह ने कहा कि शुरू से ही किसान यह लक्ष्य लेकर चल रहा है कि जब तक ये कानून वापस नहीं होंगे तब तक घरों को वापस नहीं लौटेंगे। वहीं हरियाणा के किसान नेता विकास सीसर ने कहा कि यह केवल किसान आंदोलन नहीं है, बल्कि जन आंदोलन बन चुका है।