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World Cancer Day 2020: एक मां की जीवट व संघर्ष की कहानी, कैंसर को मात देकर बेटी को बनाया दुनिया का स्‍टार

ओलंपियन महिला पहलवान विनेश फोगाट की मां ने गरीबी और कैंसर को मात देकर बेटी को दुनिया का स्‍टार बनाया। उनकी कहानी जीवटता और संघर्ष की अनोखी मिसाल है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 04 Feb 2020 07:31 AM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 07:35 AM (IST)
World Cancer Day 2020: एक मां की जीवट व संघर्ष की कहानी, कैंसर को मात देकर बेटी को बनाया दुनिया का स्‍टार
World Cancer Day 2020: एक मां की जीवट व संघर्ष की कहानी, कैंसर को मात देकर बेटी को बनाया दुनिया का स्‍टार

चरखी दादरी [सचिन गुप्ता]। कुछ कर गुजरने का जज्‍बा हो तो बड़ी से बड़ी बाधाएं भी राह छोड़ देती हैं। अंतरराष्‍ट्रीय पहलवान विनेश फोगाट आज दुनिया की स्‍टार पहलवान हैं, लेकिन इसके पीछे है उनकी मां का अद्भूत योगदान। प्रेमलता फोगाट की कहानी जीवटता और संघर्ष की मिसाल है। उन्‍होंने कैंसर को मात देकर बेटी विनेश को अनोखे मुकाम तक पहुंचाया। प्रेमलता का नाम उन बहादुर महिलाओं में हैं जो दूसरों के लिए प्रेरणा बन गई हैं।

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अंतरराष्ट्रीय पहलवान विनेश फौगाट की मां प्रेमलता ने जज्बे से कैंसर पर दर्ज की जीत 

आइये जानें विनेश और उनकी मां प्रेमलता के संघर्ष और मुश्किलों की कहानी। चरखी दादरी जिले के गांव बलाली निवासी को प्रेमलता को 2003 में शारीरिक तकलीफ हुई। चिकित्सकीय जांच में पता चला कि उनकी बच्चेदानी में कैंसर है। इससे प्रेमलता और उनके परिजन काफी चिंतित हुए लेकिन यह तो दुखों की शुरुआत थी।

मां प्रेमलता के साथ स्‍टार महिला पहलवान विनेश फोगाट।

कैंसर का पता चलने के तीन दिन के भीतर ही रोडवेज विभाग में चालक प्रेमलता के पति राजपाल फौगाट की मौत हो गई। यह उनके परिवार के लिए पूरी तरह तोड़ देनेवाले वाले हालात थे। कैंसर और पति की मौत ने प्रेमलता को बुरी तरह झकझोर कर रख दिया। उस समय उनकी उम्र महज 33 साल थी।

परिवार की नाव मझधार में थी। ऐसे में प्रेमलता का जज्‍बा जागा और उन्होंने अपने तीनों बच्चों का भविष्य संवारने के लिए कैंसर से जंग लड़ने की ठानी। पति की मौत के एक महीने बाद ही राजस्थान के जोधपुर में ऑपरेशन कराकर उन्होंने बच्चेदानी को निकलवा दिया।

प्रेमलता बताती है कि पति की मौत के समय उनका पुत्र हरविंद्र दसवीं, बेटी प्रियंका सातवीं और सबसे छोटी बेटी विनेश चौथी कक्षा में पढ़ती थी। कैंसर के ऑपरेशन के समय चिकित्सकों ने मुझे बताया कि वह महज चार-पांच वर्ष और जीने सकती हैं, लेकिन मैंने बच्चों को पाले बगैर नहीं मरने की ठान ली थी।

प्रेमलता ने बताया कि चिकित्सकों की सलाह से खानपान में बदलाव लाकर, हर रोज घरेलू काम कर खुद को तंदुरूस्त रखा। आज कैंसर के ऑपरेशन के करीब 17 साल बाद भी वह पूरी तरह से तंदुरूस्त हैं। प्रेमलता का कहना है कि उन्होंने कभी भी अपने बच्चों में निराशा का भाव नहीं आने दिया। खुद भी हमेशा सकारात्मक सोच रखी।

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विनेश की सफलता में अहम भूमिका

अक्सर विजेता खिलाडिय़ों की उपलब्ध्यिों का श्रेय पिता या कोच का दिया जाता है, लेकिन विनेश के बारे में ऐसा कहना नाइंसाफी होगी। विनेश की सफलता के पीछे भी उनकी मां प्रेमलता की भूमिका सबसे अहम हैं। प्रेमलता ने पति की असमय मौत और खुद को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के बावजूद विनेश को इस मुकाम तक पहुंचाया है।


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