किसान आंदोलन स्थल पर कचरा रोकने काे प्रयोग होने लगे स्टील के बर्तन, लाइनों से किया खाना वितरण
आंदोलन स्थल पर थर्मोकोल की प्लेट प्रयोग हो रही थी। इनमें खाने वाले कहीं पर भी प्लेट फेंक देते थे। इससे कचरे के ढ़ेर लगते हैं। टीकरी बॉर्डर पर सभा स्थल के आसपास के लंगरों में अब स्टील के बर्तन इस्तेमाल किए जाने लगे हैं। इससे गंदगी नहीं फैल रही।
बहादुरगढ़, जेएनएन। आंदोलन स्थल पर थर्मोकोल की प्लेटों से हर रोज निकलने वाले कचरे को रोकने के लिए अब कई लंगरों में स्टील के बर्तन प्रयोग किए जाने लगे हैं। खाने का वितरण भी लाइनों से हो रहा है। इसके लिए लंबी लाइनें देखी जा सकती हैं। यह कदम इसलिए उठाया गया है, ताकि गंदगी ना फैले। अब तो शुरू दिन से ही जहां पर भी लंगर चल रहे थे, उन सभी में थर्मोकोल की प्लेट प्रयोग हो रही थी। इनमें खाने वाले कहीं पर भी प्लेट फेंक देते थे।
इससे जगह-जगह कचरे के ढ़ेर लगते हैं। वैसे तो अभी भी अधिकतर लंगरों में ये थर्माेकोल की प्लेट ही प्रयोग हो रही हैं, लेकिन टीकरी बॉर्डर पर सभा स्थल के आसपास के लंगरों में अब स्टील के बर्तन इस्तेमाल किए जाने लगे हैं। इससे गंदगी भी नहीं फैल रही। कचरे के उठान का भी झंझट नहीं और स्टील की प्लेटों में खाना-पीना भी तसल्ली से हो रहा है। यहां पर लंगरों में खाने का वितरण भी लाइनों से किया जा रहा है ताकि व्यवस्था बनी रहेगी। पहले के मुकाबले सेक्टर-9 मोड़ से लेकर टीकरी बॉर्डर तक अब लंगरों की संख्या पहले जितनी नहीं है। इसीलिए जहां पर लंगर है, वहां लाइन भी लंबी लग रही है।
कई तंबुओं में लगाए पंखे
तापमान चढ़ने का असर अब धीरे-धीरे खाने-पीने पर भी पड़ेगा और दिन-रात में रहने-ठहरने पर भी। टीकरी बॉर्डर के आसपास कई तंबुओं में पंखे भी लगाए जा चुके हैं। दिन में धूप में अब गर्माहट बढ़ने लगी है। ऐसे में प्लास्टिक के तंबुओं में पंखे के नीचे बैठकर आंदोलनकारी ताश की बाजी लगा रहे हैं। पंजाब से गर्मी को लेकर कई तरह की चीजें पहले से ही भेजी जा रही हैं।