Move to Jagran APP

Haryana Roadways: कैसे रफ्तार पकड़ेगी हिसार डिपो की बसें, स्टाफ कम, काम हुआ दोगुना

हिसार वर्कशाप में बसों का काम भी कम होता था क्योंकि हिसार डिपो में बसें कम थी। उसके मुकाबले डिपों में अब बसों की संख्या अधिक हो गई है जिससे काम का दबाव भी दोगुना बढ़ गया है। ऐसे में 100 फीसदी स्टाफ हाेता था।

By Naveen DalalEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 01:13 PM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 01:13 PM (IST)
Haryana Roadways: कैसे रफ्तार पकड़ेगी हिसार डिपो की बसें, स्टाफ कम, काम हुआ दोगुना
हांसी डिपो की बसें भी हिसार वर्कशाप में ही काम करवाने के लिए आती है।

हिसार, जागरण संवाददाता। हिसार डिपो की वर्कशाप में पहले की तुलना में 20 फीसद स्टाफ रह गया है, जबकि वर्कशाप में काम दोगुना हो गया है। रोजाना वर्कशाप में 10 से 15 बसें बाडी का काम के लिए आती है और 15 से 20 बसें सर्विस, सफाई व बाकी कामों के लिए आती है। वर्कशाप कर्मी बोले कि सन् 1993 में वर्कशाप कर्मियों की भर्ती हुई थी। उसके बाद कोई भर्ती नहीं की गई। तब से कर्मी सेवानिवृत्त होते जा रहे है। 

loksabha election banner

वर्कशाप कर्मी बाेले, सन् 1993 में हुई थी भर्तियां और तब से कर्मी हो रहे सेवानिवृत्त

उस दौरान वर्कशाप में बसों का काम भी कम होता था, क्योंकि हिसार डिपो में बसें कम थी। उसके मुकाबले डिपों में अब बसों की संख्या अधिक हो गई है, जिससे काम का दबाव भी दोगुना बढ़ गया है। ऐसे में 100 फीसदी स्टाफ हाेता था। वह स्टाफ भी सेवानिवृत्त हो गए। अगर यहीं हालात रहे तो बाकी स्टाफ भी सेवानिवृत्त होने वाले है और वर्कशाप में बसों कई दिनों तक काम के लिए खड़ी रहेंगी। दूसरी हांसी डिपो की बसें भी हिसार वर्कशाप में ही काम करवाने के लिए आती है। 

यह है स्थिति

पद - कुल - भरे हुए पद - खाली 

मैकेनिक - 54 - 28 - 26 

सहायक मैकेनिक - 29 - 0 - 29 

हेल्पर - 47 - 37 - 10

बाडी का होता है अधिक काम

वर्कशाप में सबसे ज्यादा काम बसों की बाडी का होता है, क्योंकि खारे पानी की धुलाई व ग्रामीण में लोकल रूटों चलने से बाडी की कंडम होती है। इन बसों को ठीक करने में भी समय लगता है। इसके अलावा बाडी रंग व खिड़की, शीशों को ठीक करने का काम होता है। 

अधिकारी बोले

पहले के मुकाबले वर्कशाप में काम का दबाव दोगुना तक बढ़ गया है। वर्कशाप में स्टाफ 20 फीसदी है और स्टाफ के हिसाब से काम का दबाव अधिक है। स्टाफ का पर्याप्त होना जरूरी है। वरना बसें कई दिन तक काम के लिए वर्कशाम में खड़ी करनी पड़ेगी। 

सुरजभान चोपड़ा, सुपरवाइजर, वर्कशाप, हिसार डिपो।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.