Move to Jagran APP

हिसार सिविल अस्‍पताल के टीबी सेंटर में स्टाफ रेगुलर तैनात, मरीजों को मिलनी शुरू हुई सुविधा

एआरटी सेंटर में स्टाफ नियमित तौर पर तैनात कर दिया गया है। इससे मरीजों को सुविधाएं भी मिलनी शुरू हो गई है और मरीज भी काफी खुश है। जिले में एचआईवी के करीब 1200 मरीज है जिनको सेंटर पर काउंसलिंग टेस्ट दवा व अन्य सुविधा उपलब्ध होगी।

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 10 Jan 2022 08:55 AM (IST)Updated: Mon, 10 Jan 2022 08:55 AM (IST)
हिसार सिविल अस्‍पताल के टीबी सेंटर में स्टाफ रेगुलर तैनात, मरीजों को मिलनी शुरू हुई सुविधा
हिसार जिले में करीब 1200 एचआइवी के मरीज है, जिनको काउंसलिंग, टेस्ट, दवा व अन्य सुविधा उपलब्ध होगी

जागरण संवाददाता, हिसार। जिला अस्पताल में बने एआरटी सेंटर में स्टाफ नियमित तौर पर तैनात कर दिया गया है। इससे मरीजों को सुविधाएं भी मिलनी शुरू हो गई है और मरीज भी काफी खुश है। जिले में एचआईवी के करीब 1200 मरीज है, जिनको सेंटर पर काउंसलिंग, टेस्ट, दवा व अन्य सुविधा उपलब्ध होगी। बता दें कि यह एआरटी सेंटर साल 2021 की एक जनवरी को अस्पताल में खोला गया था। इसका उद्घाटन स्वास्थ्य मंत्री और महानिदेशक ने आनलाइन किया था। एक साल से सेंटर पर कोई रेगुलर स्टाफ नहीं था।

prime article banner

सेंटर पर स्टाफ न होने के कारण एचआईवी मरीजों को दवा लेने के लिए रोहतक या अग्रोहा जाना पड़ता था। शुरू में किसी भी मरीज का पंजीकरण रोहतक से होता था। मगर आप सभी मरीज और रोहतक से रेफर करवाकर हिसार आ रहे हैं। हिसार ही नहीं बाकी आसपास के क्षेत्र से भी मरीज दवा लेने हिसार आते हैं। अब एआरटी सेंटर पर पूर्व सीएमओ को नोडल अधिकारी, काउंसलर, स्टाफ नर्स और एलटी को भी तैनात किया गया है। सबसे पहले मरीज की काउंसलिंग करना बेहद जरूरी है और उसे मानसिक रूप से भी मजबूती देना आवश्यक है। तभी उसका इलाज शुरू करना उचित है और वह एचआईवी जैसी गंभीर बीमारी से जंग जीत सकता है।

नोडल अधिकारी के होने से मरीज के समय-समय पर जांच होती रहेगी। अगर मरीज का ब्लड टेस्ट करवाना हो तो एलटी यहीं पर उसका सैपल लेकर लैब में भेज सकेंगे। वैसे भी एचआईवी मरीज को हर छह माह में टेस्ट करवाना आवश्यक है। तभी पता चल पाता है कि वायरस का असर कम हुआ है या बढ़ा है।

----------

मरीज करते हैं अधिक मांग

एआरटी सेंटर से किसी मरीज का इलाज शुरू करने से पहले उसकी रिपोर्ट चेक करते हैं और क्षमता देखकर ही दवा निर्धारित होती है। मरीज को ज्यादा से ज्यादा एक की दवा दी जाती है, ताकि वह समय समय पर अस्पताल में पहुंचे और उसकी जांच की जा सके। मगर मरीज दो से तीन माह की दवा देने की मांग करते हैं।

-------------

नए मरीज भी आ रहे

एआरटी सेंटर पर नए मरीज भी इलाज के लिए आ रहे हैं। यह चिंता की बात है, क्योंकि एचआईवी के मरीज अधिक बढ़ने लगे हैं। मगर विभाग इन मरीजों का डाटा सार्वजनिक नहीं कर रहा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.
OK