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डाक्टर-डे पर विशेष : दूसरी लहर में डॉक्‍टरों ने झेली अनेक परेशानियां, सिरसा में दिन रात की डयूटी, नहीं मानी हार

सीमित साधनों के बावजूद चिकित्सकों व स्टाफ ने दिन रात डयूटी की। कोरोना की दूसरी लहर में जब मामले लगातार बढ़ने लगे तो मौत का ग्राफ भी बढ़ा। आक्सीजन किल्लत दवाइयों की शार्टेज ने भी परेशानी बढ़ाई। परंतु चिकित्सक फिर भी लगे रहे।

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 30 Jun 2021 05:31 PM (IST)Updated: Wed, 30 Jun 2021 05:31 PM (IST)
डाक्टर-डे पर विशेष : दूसरी लहर में डॉक्‍टरों ने झेली अनेक परेशानियां, सिरसा में दिन रात की डयूटी, नहीं मानी हार
सिरसा में चिकित्‍सकों ने दिक्‍कतों का सामना करते हुए भी मरीजों की जान बचाई

जागरण संवाददाता, सिरसा : कोरोना काल के दौरान सरकारी अस्पताल के अमले ने संक्रमितों के उपचार में अहम भूमिका निभाई। सीमित साधनों के बावजूद चिकित्सकों व स्टाफ ने दिन रात डयूटी की। कोरोना की दूसरी लहर में जब मामले लगातार बढ़ने लगे तो मौत का ग्राफ भी बढ़ा। आक्सीजन किल्लत, दवाइयों की शार्टेज ने भी परेशानी बढ़ाई। परंतु चिकित्सक फिर भी लगे रहे। दिन रात डयूटी की और कोरोना को मात देने में कामयाब रहे।

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तब हालत विपरित रहते हुए भी जान बचाने में जुटे डाक्टर

डिप्टी सिविल सर्जन डा. बुधराम ने बताया कि काेरोना की पहली और दूसरी लहर में बेहतरीन कार्य किया। कोरोना संक्रमित मरीजों की पहचान, उनके उपचार, दवाइयां, आक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध करवाना इत्यादि सभी मूलभुत सुविधाएं उपलब्ध करवाने से लेकर डाक्टर व स्टाफ की डयूटी लगाना। प्रशासन व विभाग के साथ सामंजस्य इत्यादि अहम जिम्मेवारी बखूबी निभाई। डा. बुधराम का कहना है कि संक्रमण की पहली लहर में बड़ी संख्या में केस आए थे लेकिन बीते मई महीने में जब दूसरी लहर में केस बढ़ने के साथ साथ मौत का आंकड़ा बढ़ने लगा तो जिम्मेवारी बढ़ गई। संसाधन जुटाने के लिए भी दिन रात प्रयास करते रहे। ईश्वर से बस यहीं कामना है कि ऐसे दिन दोबारा न आए और कोराेना संक्रमण खत्म हो।

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कोविड वार्ड में इलाज के साथ मरीजों को दिया हौसला

नागरिक अस्पताल के फिजिशियन डा. विकास कंबोज का कहना है कि कोरोना के दौरान मुख्य रूप से कोविड वार्ड में ही डयूटी रही। सुबह शाम 24 घंटे की डयूटी भी रही। बढ़ते केसों व मौत के आंकड़ों से परेशान भी थे। सीमित संसाधनों के बीच मरीजों को बेहतर इलाज किया। संक्रमण से खुद को बचाव के लिए हमेशा पीपीइ किट पहनकर रखते और कोविड 19 नियमों की पालना की। परिवार के सदस्यों से भी दूरी बनाकर रखी।

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ससुर व चाचा की हुई संक्रमण से मौत परंतु फिर भी रहे डयूटी पर

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान डा. दीपक कंबोज पर जेसीडी विद्यापीठ में बनाए कोविड सेंटर की जिम्मेवारी थी। जब केस बढ़ने लगे तो रोजाना 15-20 मरीज कोविड वार्ड में भेजे जाने लगे। अनेक रोगियों की मौत भी हो रही थी। संक्रमण की खतरनाक वेब के दौरान भी हौसला बनाकर रखा और पूरे स्टाफ के साथ तन्मयता से लगे रहे। डा. दीपक कंबोज ने बताया कि काेरोना की दूसरी लहर के दौरान उसके ससुर की संक्रमण से मौत हो गई वहीं चाचा भी ब्लैक फंगस का शिकार बन गए परंतु इन सबके बावजूद उन्होंने डयूटी की। उनकी पत्नी भी संक्रमित हो गई थी उस दौरान उन्होंने कुछ दिन छुट्टी लेकर अपने दो साल के बेटे की संभाल की। कोरोना काल में हम आमजन की उम्मीदों पर खरा उतरे।

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कोरोना की दूसरी लहर के बीच चुनौती पूर्ण रहा वैक्सीनेशन

डा. बालेश बांसल, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने बताया कि टीम वर्क के रूप में 34 जगहों पर वैक्सीनेशन का काम शुरू किया और यह निरंतर बढ़ता गया। एक दिन में 19 हजार से अधिक लोगों को भी वैक्सीन लगाई। मुख्यालय से वैक्सीन एलोकेट करवाने से लेकर उसे सब सेंटरों तक पहुंचाने व अधिक से अधिक लाभार्थियों को डोज लगाने के लिए पूरी प्लानिंग बनाई। जिसका नतीता है कि जिले में अब तक साढ़े तीन लाख से अधिक लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। डा. बालेश बांसल का कहना है कि दूसरी वेब के बीच लगातार केंद्र सरकार ने वैक्सीन लगवाने वालों का टारगेट बढ़ाया। अभियान के दौरान कई स्टाफ सदस्य पाजिटिव भी हुए।


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