पिता के हत्यारे को बेटे ने गोलियाें से भूना, 17 साल की दुश्मनी में जा चुकी हैं कई जानें
रंजिश में हो चुकी कई हत्या। पिता के कातिल की हत्या के लिए घात लगाएं खड़े थे हमलावर महिला ने टोका हथियार ले क्यों खड़े हो तभी गोलियों से दहल उठी गली। पीछा करके मारी कई गोलियां।
रोहतक, जेएनएन। पिता की हत्या का बदला लेने के लिए गुरुवार देर शाम रोहतक में बेटे ने जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे पैराेल पर आए दोषी को गोलियों से भून दिया। पटेल नगर में जिस तरीके से जोगेंद्र उर्फ जुग्गी की हत्या को अंजाम दिया गया है उससे हर कोई हैरान है। हमलावर पूरी साजिश रचकर आए थे, जो पहले से ही जोगेंद्र के घर से करीब 100 कदम दूर घात लगाकर खड़े थे। उन्हें आसपास के लोगों का भी कोई डर नहीं था। वह खुलेआम पिस्तोल लेकर खड़े थे। इस बीच एक महिला ने हमलावर को टोका भी था कि हथियार लेकर क्यों खड़े हो। इस पर हमलावर कुछ नहीं बोला।
सभी ने मुंह पर मॉस्क या परना बांधा हुआ था। जैसे ही जोगेंद्र की गाड़ी आती दिखाई दी तो उन्होंने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। इससे वहां पर भगदड़ मच गई। कुछ पल के लिए आसपास के लोगों को भी समझ नहीं आया कि आखिर क्या माजरा है। वहां पर भगदड़ मचती देख लोगों को समझ में आया, तब जाकर लोग भी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। जोगेंद्र को लेकर हमलावरों में कितना गुस्सा था वह सीसीटीवी फुटेज में स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
जैसे ही हमलावरों ने उसकी गाड़ी पर एक के बाद एक कई गोली मारी तो वह जान बचाने के लिए पैदल ही भागने लगा। हमलावर भी उसके पीछे-पीछे पैदल ही भागने लगे। वह तब तक गोली चलाते रहे जब तक वह लहुलूहान होकर जमीन पर नहीं गिर पड़ा। इसके बाद हथियार लहराते हुए स्कूटी पर ही वहां से फरार हो गए। जोगेंद्र दो भाइयों में बड़ा था। हालांकि उससे बड़ी दो बहनें भी है। उसकी मौत के बाद परिवार के सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल है।
2003 से चल रही रंजिश, जा चुकी कई जान
जोगेंद्र उर्फ जुग्गी की वर्ष 2003 से सोनू व रमन पुत्र राजेंद्र उर्फ टिटू साथ रंजिश चल रही है। करीब 15 साल पहले कैंप निवासी राजेंद्र उर्फ टीटू सुनारा की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में जोगेंद्र और सोनू सरदार समेत कई के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। जोगेंद्र और सोनू सरदार को उम्रकैद हो गई थी। हालांकि कुछ साल पहले सोनू सरदार का शव रेलवे ट्रैक पर पड़ा मिला था। जबकि जोगेंद्र जेल में ही था। इसी रंजिश में टीटू के पिता रामसिंह और उसकी मां की भी हत्या हो चुकी है। उम्रकैद की सजा काट रहा जोगेंद्र करीब डेढ़ माह पहले ही पैरोल पर आया था। जेल से बाहर आते ही हमलावरों ने उसकी हत्या कर दी। पुलिस की मानें तो गांधी कैंप में चौधर को लेकर यह रंजिश चल रही है। फिलहाल पुलिस सभी तथ्यों पर गहनता से जांच कर रही है।
अंधाधुंध गोलियां चला रहे थे हमलावर, गलियों में बिखरे पड़े खोल
हत्याकांड के बाद पुलिस ने वहां पर गहनता से जांच पड़ताल की। इस दौरान पुलिस को दो गलियों में अलग-अलग स्थानों पर पांच-छह गोलियों के खोल पड़े मिले। इसके अलावा जोगेंद्र की गाड़ी का शीशा भी टूटकर बिखरा पड़ा था। जिस जगह पर यह वारदात हुई वहां पर काफी भीड़भाड़ रहती है। ऐसे में यदि जोगेंद्र गाड़ी लेकर भागता तो शायद हमलावर फिर भी उसे पकड़ लेते। क्योंकि भीड़ अधिक होने के कारण गाड़ी को तेज नहीं चला सकता था। शायद जोगेंद्र ने भी यही सोचा होगा और इसीलिए हमलावरों से बचने के लिए वह पैदल ही गलियों की तरफ भागा लेकिन हमलावरों ने उसे नहीं छोड़ा। हमलावर अंधाधुंध होकर गोलियां चल रहे थे, उन्हें यह भी डर नहीं था कि कोई अन्य व्यक्ति चपेट में ना आ जाए।
सीसीटीवी ने सुलझा दी हत्या की दो गुत्थी
हमलावरों ने जिस घर के सामने जोगेंद्र की गाड़ी पर फायरिंग शुरू की थी, उस मकान में पिछले साल एक वृद्धा की उसके ही नौकर ने हत्या कर दी थी। आरोपित ने जेवरात के लालच में गला दबाकर वृद्धा को मौत के घाट उतार दिया था। उस वारदात में भी मकान के सामने लगे कैमरे काम आए थे और जोगेंद्र की हत्या के मामले में भी यही कैमरे पुलिस के काम आए।