पोस्ट कोविड मरीजों को टेंशन दे रहा स्माग, सांस लेने में आ रही दिक्कत, रोहतक में AQI 313 पहुंचा
दीपावली से पहले एक्यूआइ (एयर क्वालिटी इंडेक्स) खतरनाक स्तर की ओर बढ़ रहा है। छोटी दीपावली के दिन बुधवार को एक्यूआइ के पीएम 2.5 का स्तर 313 पहुंच गया है। एक्यूआइ का यह स्तर डरावनी तस्वीर प्रस्तुत कर रहा है।
जागरण संवाददाता, रोहतक : फेस्टिवल सीजन में दीपावली से पहले एक्यूआइ (एयर क्वालिटी इंडेक्स) खतरनाक स्तर की ओर बढ़ रहा है। छोटी दीपावली के दिन बुधवार को एक्यूआइ के पीएम 2.5 का स्तर 313 पहुंच गया है। एक्यूआइ का यह स्तर डरावनी तस्वीर प्रस्तुत कर रहा है। जब दीपावली पर रोक के बावजूद पटाखा जलाए जाएंगें तो यह स्तर काफी बढ़ेगा और दीपावली के एक सप्ताह तक लोगों का सांस लेना मुश्किल हो जाएगा। फिलहाल ही पोस्ट कोविड मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। पहले से अस्थमा, कार्डियक व सांस संबंधी दिक्कतें झेलने वाले पोस्ट कोविड मरीजों के लिए स्माग का यह स्तर बेहद खराब है। चिकित्सकों के अनुसार मरीजों को सांस लेने में दिक्कत, गले में खराश, सूखी खांसी, मरीजों में फेफड़े में सिकुड़न आने से सांस फूलने व थकान होने, भूख न लगने की समस्याएं आ रही है।
एक्यूआइ मानक
0 से 50 एक्यूआइ होने पर अच्छी हवा
51 से 100 एक्यूआइ में संतोषजनक हवा
101 से 200 एक्यूआइ होने पर मध्यम हवा
201 से 300 एक्यूआइ होने पर खराब हवा
301 से 400 एक्यूआइ होने पर बेहद खराब हवा
401 से 500 एक्यूआइ होने पर खतरनाक हवा
-पराली जलाना भी स्माग के लिए जिम्मेदार
इस मौसम में स्माग की चादर छाई हुई है, जिसके लिए किसानों की ओर से पराली जलाना भी एक कारण है। प्रगतिशील किसानों की ओर से तो पराली प्रबंधन अपना लिया गया है लेकिन कुछ किसान अभी भी पराली को जलाते हैं। जिसकी वजह से स्माग आमजन की जिंदगी में जहर घोलने का काम करता है।
स्माग के दौरान अस्थमा वालों का जीना दुभर हो जाता है, उन्हें सांस लेना में बड़ी कठिनाई आती है। स्माग अस्थमा व दमा के मरीजों आक्सीजन लेने की क्षमता कम कर देता है। प्रदूषण फेफड़ों के माध्यम से हमारे ब्लड में चला जाता है, इसकी वजह से हार्ट अटैक जैसी दिक्कत हो सकती हैं। खराब एयर क्वालिटी हमारी क्वालिटी लाइफ को भी डिस्टर्ब करती है। दैनिक यात्रियों को स्माग के दौरान ज्यादा दिक्कतें उठानी पड़ती हैं। ऐसे में बाहर निकलने से परहेज करना चाहिए व छोटे बच्चों को घर के अंदर ही रखें।
डा. राजेश गुप्ता, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, पीजीआइ रोहतक।