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कोरोना के पोस्ट कोविड लक्षणों में नींद न आना सबसे खतरनाक, मानसिक स्थिति पर पड़ सकता असर

पोस्ट कोविड लक्षण सामने आ रहे है। खासकर लोगों में नींद ना आने की समस्या के केस प्रतिदिन सामने आ रहे है। सिविल अस्पताल में ऐसे मरीज काउंसलिंग लेने पहुंच रहे है जो कोरोना से स्वस्थ हो चुके है। लेकिन उन्हें अब नींद नहीं आती।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 20 Jul 2021 01:49 PM (IST)Updated: Tue, 20 Jul 2021 01:49 PM (IST)
कोरोना के पोस्ट कोविड लक्षणों में नींद न आना सबसे खतरनाक, मानसिक स्थिति पर पड़ सकता असर
मनोचिकित्‍सक शालू ढांडा ने बताया कोरोना से मुक्‍त हो चुके लोगों को अगर नींद नहीं आती तो सचेत हो जाइए

जागरण संवाददाता, हिसार: कोरोना मरीजों में स्वस्थ होने के बाद भी पोस्ट कोविड लक्षण सामने आ रहे है। खासकर लोगों में नींद न आने की समस्या के केस प्रतिदिन सामने आ रहे है। सिविल अस्पताल में ऐसे मरीज काउंसलिंग लेने पहुंच रहे है, जो कोरोना से स्वस्थ हो चुके है। लेकिन उन्हें अब नींद नहीं आती। सिविल अस्पताल में क्लीनिक साइकोलोजिस्ट डा. शालू ढांडा ने बताया कि कोविड मरीजों में और कोविड से स्वस्थ हो चुके मरीजों में ऐसे लक्षण सामने आ रहे है। इनमें किसी को भूख ना लगने की समस्या है तो किसी को बार-बार बुखार आने और शरीर में कमजोरी आने की तो, किसी को भूलने और किसी की सूंघने की क्षमता पर असर पड़ा है।

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लेकिन इन सबसे खतरनाक एक और लक्षण सामने आ रहा है कि खुद के कोरोना संक्रमित होने या फिर परिवार या आसपड़ोस में किसी के संक्रमित होने पर भी लोगों को नींद नहीं आती। कोई मुश्किल से एक से दो घंटे साे पा रहा है तो किसी को बिल्कुल ही नींद नही आती। डा. शालू बताती है कि नींद ना आना एक बड़ी बीमारी है अगर लंबे समय तक ऐसा रहे तो व्यक्ति की दिमागी और शारीरिक क्षमता दोनों बूरी तरह से प्रभावित हो सकती है।

डा. शालू ने बताया कि कोरोना काल में एंजाइटी की समस्या पेश आइ है। इस दौरान काेरोना से अपनों को खोने का डर बढ़ा है, जिससे लोगों में संक्रमण से स्वस्थ होने के बाद भी अपनों को खोने का डर बना रहता है। इसी डर के कारण लोगों को नींद नहीं आती। डा. शालु बताती है कि स्वस्थ रहने के लिए हमें आठ से 10 घंटे नींद लेेने की जरुरत होती है, अगर ऐसा संभव नहीं है तो कम से कम सात घंटे की नींद जरुर ले। इससे आप तरोताजा रहेंगे।

अच्छी नींद पाने के लिए यह करें -

अपनी सामाजिक कनेक्टिविटी को बढ़ाए -

अफवाहों पर ध्यान ना दें -

स्क्रीन टाइम कम करें मोबाइल, कंप्यूटर या टीवी पर कम समय बिताएं -

सकारात्मक सोच रखें, ऐसा साेचें कि यह बूरा वक्त है ये भी गुजर जाएगा -

रात को हल्का खाना खाएं -


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