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दुनिया के छह देशों ने अपनी मातृभाषा का उच्च स्तर पर इस्तेमाल करना शुरू किया : प्रो. कुठियाला

जागरण संवाददाता हिसार हरियाणा राज्य उच्चत्तर शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. बीके कुठियाला

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 06:47 AM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 06:47 AM (IST)
दुनिया के छह देशों ने अपनी मातृभाषा का उच्च स्तर पर इस्तेमाल करना शुरू किया : प्रो. कुठियाला
दुनिया के छह देशों ने अपनी मातृभाषा का उच्च स्तर पर इस्तेमाल करना शुरू किया : प्रो. कुठियाला

जागरण संवाददाता, हिसार:

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हरियाणा राज्य उच्चत्तर शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. बीके कुठियाला ने कहा है कि भाषा केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं है बल्कि राष्ट्र का स्वाभिमान है। हमें भाषा की ताकत को समझना और पहचानना चाहिए। दुनिया के अधिकतर देश मातृभाषा को अपनाने की नीति पर चलने लगे है।

प्रो. कुठियाला गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की टीईक्यूआइपी-3 सेल और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी की तरफ से 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन' विषय आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।

विश्वविद्यालय के चौधरी रणबीर सिंह सभागार में ऑनलाइन व ऑफलाइन माध्यम से हुए इस सेमिनार की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने की। हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय, हमीरपुर के कुलपति प्रो. एसपी बंसल सेमिनार में बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. अवनीश वर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम के संयोजक विश्वविद्यालय के टीईक्यूआइपी-3 सेल के समन्वयक प्रो. अंबरीष पाण्डेय व बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के टीईक्यूआइपी सेल के समन्वयक प्रो. बृजेंद्र शुक्ला थे।

प्रो. बीके कुठियाला ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में सबसे बड़ी चुनौती गुणवत्ता आधारित शैक्षणिक व्यवस्थाओं की है। हमें शिक्षा नीति को उपयोगी ढंग से क्रियान्वित करना है तो सृजनशील शिक्षकों तथा गुणवत्ता आधारित शोध पर जोर देना होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा को विशेष महत्व दिया गया है। हमें इस दिशा में अब सकारात्मक कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि दुनिया के छह देशों ने अपनी मातृभाषा का उच्च स्तर पर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। हमें भी अपनी मूल भाषाओं के महत्व को समझना होगा। भारतीय मूल भाषा संस्कृत दुनिया की श्रेष्ठ वैज्ञानिक भाषाओं में से एक है। कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि शिक्षकों को और अधिक शोधपरक होना होगा। वक्त तेजी से बदल रहा है। वैश्विक स्तर पर उभरते बाजार की परिस्थितियों को तथा चुनौतियों को समझकर उसी के अनुरूप हमें अपने विद्यार्थियों को तैयार करना होगा। कुलसचिव डा. अवनीश वर्मा ने कहा कि देश की शिक्षा नीति निर्माण के बारे में विस्तार से जानकारी दी। शिक्षा नीति के निर्धारण में अब तक कितनी समितियां बनी और अब से पहले कब शिक्षा नीति बनकर लागू हुई। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति एक क्रांतिकारी कदम है और यह वक्त की जरूरत के अनुसार तैयार की गई है। मुख्य वक्ता प्रो. एसपी बंसल ने कहा कि मातृभाषा में क्षेत्रीय भाषाएं भी सम्मिलित है। मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषाएं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आपस में जुड़ी है। हमें संस्कृत के महत्व को भी समझना होगा। प्रो. अंबरीश पाण्डेय ने धन्यवाद प्रस्ताव किया। उन्होंने टीईक्यूआईपी व सेमिनार के बारे में विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम में 250 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस अवसर पर प्रिटिग टेक्नोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डा. आरोहित गोयत, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिग विभाग की अध्यक्षा डा. प्रीति प्रभाकर, इलेक्ट्रोनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिग विभाग के अध्यक्ष डा. दीपक केडिया, कंप्यूटर साईंस एंड इंजीनियरिग विभाग के अध्यक्ष प्रो. धर्मेंद्र कुमार, फूड टेक्नोलॉजी विभाग की अध्यक्षा प्रो. अलका शर्मा व ट्रेनिग एंड प्लेसमेंट सेल के निदेशक प्रताप मलिक उपस्थित रहे।


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