Move to Jagran APP

सिरसा डीसी का अलग अंदाज, बोले - सार्वजनिक शौचालय का करूंगा प्रयोग, अधिकारी भी करें

डीसी ने कहा है कि अधिकारियों के कमरों में व्यक्तिगत शौचालयों का होना इस बात को दर्शाता है कि उन अधिकारियों को अपने ही दफ्तर के सार्वजनिक शौचालयों की साफ-सफाई पर विश्वास नहीं है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 12:58 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2020 01:08 PM (IST)
सिरसा डीसी का अलग अंदाज, बोले - सार्वजनिक शौचालय का करूंगा प्रयोग, अधिकारी भी करें
सिरसा डीसी का अलग अंदाज, बोले - सार्वजनिक शौचालय का करूंगा प्रयोग, अधिकारी भी करें

सिरसा, जेएनएन। अपनी अलग-अलग तरह की मुहिमों के लिए हमेशा चर्चा में बने रहने वाले सिरसा के डीसी अशोक गर्ग ने अब एक नई तरह की मुहिम शुरू की है। उन्‍होंने कहा है कि सरकारी दफ्तरों में अधिकारियों के कमरों में व्यक्तिगत शौचालयों का होना इस बात को दर्शाता है कि उन अधिकारियों को अपने ही दफ्तर के सार्वजनिक शौचालयों की साफ-सफाई पर विश्वास नहीं है।

loksabha election banner

जबकि उन सार्वजनिक शौचालयों को साफ सुथरा रखने की जिम्मेदारी उसी अधिकारी की है। यह इस बात को भी दर्शाता है कि हम अधिकारी अपने स्टाफ और जनता की सुविधाओं का कितना ध्यान रखते हैं। इसीलिए अब मैं खुद भी व्यक्तिगत शौचालय का प्रयोग न करके सार्वजनिक शौचालय का प्रयोग करुंगा और सचिवालय के बाकी अधिकारी भी ऐसा ही करेंगे। उम्मीद है इससे सार्वजनिक शौचालयों की हालत सुधरेगी।

उन्‍होंने यह प्रतिक्रिया फेसबुक पर भी पोस्‍ट की है। उनके इस पोस्‍ट के बाद अधिकारियों में हड़कंप सा मच गया है। साथ ही यह भी चर्चा का विषय बन गया है कि अधिकारियों के कार्यालयों में बने शौचालयों का क्‍या किया जाए। वहीं डीसी अशोक गर्ग ने यह संदेश देकर एक तरह से अधिकारियों के जनता के प्रति समर्पण पर भी सवाल खड़े किए हैं।

डीसी ने जैसे ही आदेश जारी किए इसके कुछ घंटे बाद ही एसडीएम ने अपने व्‍यक्गित शौचालय पर खुद ताला लगा दिया। उन्‍होंने कहा कि डीसी की तरह ही मैं भी सार्वजनिक शाैचालय प्रयोग करूंगा। अब यह विषय और भी चर्चा में आ गया है। अनुमान है कि बाकी अधिकारी भी यही करने जा रहे हैं।

अपने व्‍यक्गित शौचालय पर ताला लगाते हुए एसडीएम

बता दें कि सिरसा के डीसी अशोक गर्ग आम आदमी की तरह ही सादा जीवन जीते हैं। लोगों के बीच जाते रहते हैं। इससे पहले वे महिलाओं को पर्दा प्रथा से मुक्‍त करने के लिए अभियान चलाने में जुटे हुए हैं। इसके लिए उन्‍होंने गांव गांव जाकर महिलाओं को कार्यक्रम के बीच ही पर्दा न करने की शपथ दिलाने का काम किया है। अभियान अभी भी जारी है।

उनका कहना है कि हमारी शिक्षा और रहन-सहन में सुधार हुआ, बावजूद इसके रूढि़वादी परंपरा पर्दा प्रथा को पूरी तरह नहीं त्याग पाए हैं। आज भी हर गांव में महिलाएं घूंघट में नजर आती हैं। यह अलग बात है कि कुछ महिलाओं ने अब घूंघट करना छोड़ दिया है लेकिन उनकी संख्या कम है।

ऐसे में जरूरी है कि हर महिला घूंघट करना छोड़ दे। ताकि वह अपनी बात खुलकर सामने रख सके। बता दें कि घूंघट प्रथा से अब सिरसा निजात पाने वाला है और इसकी पहल जिला प्रशासन की ओर से की गई है। घूंघट से लाभ नहीं तो फिर करें क्यों की मूल भाव के साथ प्रशासन गांवों में जागरूकता के साथ घूंघट प्रथा के खिलाफ जोरदार आगाज सप्ताह भर में कर देगा। अभियान का नाम भी घूंघट प्रथा मुक्त गांव का दिया जाना प्रस्तावित है। इसके लिए प्लान तैयार किया गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.