सिंघानी गांव की खूबियों की मुरीद हुई भारत सरकार, राष्ट्रीय पुरस्कार से किया सम्मानित
सिंघानी गांव को दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार के लिए चुना गया है। हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने सरपंच सुरेंद्र राठी को प्रमाण पत्र भेंट कर सम्मानित किया
ढिगावा मंडी [मदन श्योराण] एक गांव ऐसा भी, जिसके चर्चे अब महज जिले या प्रदेश में नहीं बल्कि प्रदेशों में भी अदब से लिया जाएगा। गांव ने विशेष काम कर ऐसी मिसाल कायम की है कि राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया। हम बात कर रहे हैं भिवानी जिले के सिंघानी गांव की। जिसकी पंचायत ने पांच गांव के नंदीयो को पकड़ कर नंदी शाला में रखा और जनता के लिए राहत का माध्यम बनी। इसी खूबी को हरियाणा सरकार ने भी पहचाना और अब ग्राम पंचायत को सम्मानित किया गया है। सिंघानी गांव को दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार के लिए चुना गया है। हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने सरपंच सुरेंद्र राठी को प्रमाण पत्र भेंट कर सम्मानित किया है।
ये है गांव की खूबियां
गांव की लगभग 9000 आबादी है। गांव की सीमा में दाखिल होते ही पता चलता है कि गांव में सभी आधुनिक सुविधा और पंचायत का संचालन बेहतरीन ढंग से है। गांव की सीमा के सभी रास्तों व गांव को जाेड़ने वाली सड़कों पर खड़े पेड़ पौधे और साफ-सफाई, गांव के सभी गलियों की नियमित सफाई व गांव में आधुनिक ग्राम सचिवालय का निर्माण करवाया और लोगों के ऑनलाइन सुविधा देने के कार्य भी किए जाते हैं। गांव में शहीदी स्मारक भी बनाया जा रहा है।
गांव का इतिहास
जिला हेड क्वार्टर भिवानी से 45 किलोमीटर दूर लोहारू अलके के नेशनल हाईवे 709 पर स्थित है। गांव की आबादी करीब 9000 है। ग्रामीणों का मुख्य व्यवसाय खेती बाड़ी और पशुपालन है। गांव सिंघानी के ग्रामीण आपसी भाईचारा और प्रेम भाव से जीवन यापन कर रहे हैं। गांव सिंघानी में एक पानी का कोठा न्याय के नाम से भी प्रसिद्ध है, वर्षों पहले लोग सौ सौ कोस दूर से गांव सिंघानी में न्याय के लिए आते थे, न्यायिक पानी के कोठे का फैसला नवाब को भी मान्य था। लोहारू के इतिहास में 8 अगस्त 1935 को 23 लोगों ने सिघानी गांव में नवाबी गोलियों का सामना करते हुए शहादत दी थी।
गांव में हुए विकास कार्य
सरपंच सुरेंद्र राठी ने बताया कि गांव में करीब 3.5 करोड रुपए का विकास कार्य हुआ है, और आगे भी विकास कार्य प्रगति पर है. उन्होंने बताया कि अब तक विकास कार्य हुए हैं, अगर मन में कुछ बदलाव करने की इच्छाशक्ति मज़बूती से पाली जाए तो इस इच्छा शक्ति के आड़े कुछ नहीं आ सकता। बेशक़ पंचायतें सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधा तथा फंड का रोना रोती रही है लेकिन कुछ पंचायतें ऐसी भी हैं जो इतने ही सुविधाओं में इतना बड़ा बदलाव ला देती है कि वो दूसरी पंचायतों के लिए एक मिसाल के रूप में उभर कर सामने आती हैं।