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फतेहाबाद में सात हजार साल पुरानी सभ्यता के होंगे दर्शन, बनेगा भव्‍य संग्रहालय

फतेहाबाद में साइट म्यूजियम अर्थात संग्रहालय बनाया जाएगा। करीब सात हजार साल पुरानी सभ्यता के अवशेषों को समेटे इस स्थल पर संग्रहालय की मंजूरी मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दे दी है। हड़प्पा पूर्व सभ्यता का पुरातात्विक स्थल कुनाल भी जुड़ गया है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Thu, 10 Dec 2020 09:49 AM (IST)Updated: Thu, 10 Dec 2020 09:49 AM (IST)
फतेहाबाद में सात हजार साल पुरानी सभ्यता के होंगे दर्शन, बनेगा भव्‍य संग्रहालय
तत्कालीन हरियाणा के पुरातत्व एवं संग्रहालय मंत्री रामबिलास शर्मा व अन्य लोग कुनाल में अवलोकन करते हुए। जागरण आर्काइव।

फतेहाबाद [मणिकांत मयंक] सभ्यताओं से रूबरू होने की कड़ी में सबसे प्राचीन हड़प्पा पूर्व सभ्यता का पुरातात्विक स्थल कुनाल भी जुड़ गया है। अब यहां भी साइट म्यूजियम अर्थात संग्रहालय बनाया जाएगा। करीब सात हजार साल पुरानी सभ्यता के अवशेषों को समेटे इस स्थल पर संग्रहालय की मंजूरी मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दे दी है। अपने प्रोजेक्ट की सीएम से मंजूरी के बाद राज्य पुरातत्व विभाग ने इसका वैचारिक प्रारूप (कांसेप्चुअल डिजाइनिंग) आर्किटेक्चर विभाग को भेज दिया है।

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कुनाल की प्री-हड़प्पन साइट पर संग्रहालय बनाने की जिम्मेवारी लोक निर्माण विभाग को सौंपी गई है। राज्य पुरातत्व विभाग के अनुसार इस साइट म्यूजियम पर लगभग दो करोड़ रुपये की लागत का आकलन किया गया है। भव्य स्वरूप के साथ बनाए जाने वाले इस संग्रहालय में देशभर के शोधार्थी अपने शोधकार्य पूरा कर सकेंगे तो सामान्य विद्यार्थी अर्थात देश के भविष्य अपने अतीत से रूबरू हो सकेंगे। सालों से खोदाई के दौरान मिले प्री-हड़प्पन अवशेषों पर आधारित इस संग्रहालय से आम नागरिक अथवा देश-विदेश के पर्यटक भी अपनी जानकारी बढ़ाएंगे।

राज्य पुरातत्व विभाग का कहना है कि राखीगढ़ी व पिंजौर की तर्ज पर यहां भी साइट म्यूजियम का निर्माण होगा। यहां यह बता दें कि राखीगढ़ी में वृहत पैमाने पर संग्रहालय बनाया जा रहा है। राखीगढ़ी सबसे बड़ी पुरातात्विक साइट है तो कुनाल की साइट हड़प्पा पूर्व सभ्यता व संस्कृति को समेटी हुई सबसे पुरानी। हरियाणा सरकार पुरातात्विक महत्व की साइटों के प्रति अपनी संवेदनाएं धरातल पर उतार रही है।

ऐसी होगी संग्रहालय की डिजाइनिंग

- साइट की तरह ही टीलानुमा

- दूर से देखने पर टीले से जुड़ा ही दिखाई देगा

- इसकी छत पैरामीट्रिक होगी

- अवशेष के रूप में मिले सिरैमिक पर उकेरे गए चित्रों से सुसज्जित होगी बाहरी दीवार

- गैलरी में हल्के पीले रंग के पत्थर का फर्श होगा

- वेंटिलेशन आधारित गैलरीज होंगी

- चेन लिंक फेंसिंग से बाउंडरी बनेगी

- गर्मी संतुलित रखने के लिए हरियाली रखी जाएगी

- रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के साथ संग्रहालय कॉम्प्लेक्स में सोलर सिस्टम लगेगा

- प्रवेश द्वार पर पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग का लोगो लगाया जाएगा।

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अवशेषों के जरिये हड़प्पा पूर्व सभ्यता के इन पक्षों के दर्शन

- सात हजार साल पहले खान-पान : अवशेष में मिले गेहूं, जौ जैसे अनाज के दाने, मछली मारने वाली हुक, मांसाहारी बताने वाली हड्डियां,

रहन-सहन : खोदाई के दौरान मिले पिट्स अर्थात खंदक, स्टोरेज, डस्ट बिन,कॉपर फरनेस

आजीविका : पॉटरी, सिरैमिक्स, मनकों की भट्ठी

जीविका स्तर : हीरे का हार, चांदी का मुकुट, मनके-मोती

धर्म-कर्म : उत्खनन के दौरान तिलक घिसने व अर्चना के छोटे उपादान भी मिले थे। जो अनुष्ठान में आस्था के परिचायक हैं।

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बारह बार हो चुकी खोदाई

कुनाल में पहली बार वर्ष 1985 में पुरातात्विक खोदाई हुई थी। तब से अब तक अलग-अलग चरणों में बारह बार खोदाई हो चुकी है। इस दौरान हीरे का हार व चांदी का मुकुट सहित मनके, मोती, भ_ियां, बोन्स, सिलवट्टे, सिरैमिक्स सहित अनेक अवशेष मिले हैं।

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इस म्यूजियम का व्यापक लाभ ग्लोबल स्तर पर मिल सकता है। कारण यह है कि यह सबसे प्राचीन पुरातात्विक स्थलों में से एक है। सरकार ने इसे संजीदगी से लेते हुए स्वीकृति दी है।

- डा. बनानी भट्टाचार्य, उपनिदेशक, राज्य पुरातत्व विभाग ।


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