सिंघु बॉर्डर के बाद अब टीकरी बॉर्डर पर तनाव, आंदोलन को लेकर किसान और स्थानीय लोग आमने-सामने
किसानों का कहना है कि वे तीन कृषि कानून रद होने तक के यहां से वापस नहीं जाएंगे। यह विरोध सिर्फ सरकार की ओर से हमारे आंदोलन को समाप्त करने की साजिश है। वहीं स्थानीय लोग धरना खत्म करवाने की बात पर अड़े हुए हैं।
बहादुरगढ़, जेएनएन। गणतंत्र दिवस की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसक घटनाओं के बाद बहादुरगढ़ में एक बार जहां किसानों की भीड़ कम हुई थी। वहां अब फिर से भीड़ बढ़ गई है। ऐसे में लग रहा है कि आंदोलन लंबा चल सकता है। इसी बात के अंदेशे से स्थानीय निवासी धरने खत्म करवाने की बात को लेकर अड़ गए हैं। करीब दो महीने से बॉर्डर बंद होने को लेकर खुद को परेशान बता स्थानीय लोग धरना स्थल पर पहुंच गए। यहां तनाव की स्थिति बन गई। पुलिस ने हालात को भांपते हुए मोर्चा संभाला और लोगों को समझाने में जुटी है।
बता दें कि दोपहर के वक्त सिंघु बॉर्डर पर स्थानीय लोग और प्रदर्शनकारी किसान आपस में टकरा गए थे। यहां पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए। झड़प में पुलिसकर्मी सहित अन्य किसान भी चोटिल हुए हैं। अब ऐसी ही स्थिति बहादुरगढ़ के टिकरी बॉर्डर पर बन सकती है। पुलिस मुस्तैदी से हालात को संभालने का प्रयास कर रही है। मगर स्थानीय लोगों की संख्या बढ़ी तो पुलिस के लिए स्थिति को काबू करना मुश्किल हो जाएगा।
यहां से हरियाणा के अमूमन किसान अपना तंबू उखाड़ ले गए थे। मगर शुक्रवार दोपहर को कुछ किसान संगठनों और राजनीतिक संगठनों की ओर से महापंचायत बुलाई, जिसमें आंदोलन को खत्म करने को लेकर किसानों को अल्टीमेटम दिए जाने की बात सामने आई। वहीं आधुनिक औद्योगिक क्षेत्र में बैठे किसानों से अब उद्यमी भी खिलाफ हो गए हैं।
वीरवार को उद्यमियों ने आपस में फोन पर बातचीत करके सलाह मशविरा किया और शुक्रवार को 12:30 बजे के बैठक कर एकजुट होने का निर्णय लिया था। इस बैठक में किसानों से आंदोलन समाप्त करने की चेतावनी दी गई। साथ ही उन्होंने 72 घंटे का अल्टीमेटम पहले ही दे दिया है। इन सबके विरोध के बावजूद किसानों के हौसले यहां पर अब भी बुलंद हैं। यूपी गेट और सिंघु बॉर्डर पर भारी मात्रा में विरोध होने के बाद टीकरी बॉर्डर पर किसानों के इरादे और मजबूत हो गए हैं। किसानों ने सुबह ही टीकरी बॉर्डर के धरना स्थल पर सभा शुरू करने के लिए तैयारी शुरू कर दी। यहां पर चटाई बिछा दी गई हैं और किसानों से सभा में भाग लेने के लिए आह्वान किया जा रहा है।
सुबह का नाश्ता लेकर किसान सभा की ओर बढ़ने लगे। उधर दिल्ली पुलिस व सुरक्षा बल के जवान भी भारी मात्रा में टीकरी बॉर्डर पर तैनात हैं। हालांकि रात को यह अफवाह रही कि रात में यहां से किसानों को प्रशासन की ओर से हटा दिया जाएगा लेकिन यह केवल अफवाह ही साबित हुई। इस तरह का कोई भी कदम प्रशासन की ओर से नहीं उठाया गया। मगर यहां पर किसानों की ओर से जो समर्थन व खाद्य सामग्री समेत अन्य मदद जो अब तक दी जा रही थी वह अब ना के बराबर हो गई। यहां बैठे किसान अब खुद ही अपना पानी व अन्य सुविधाओं के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। कई जगह उन्हें मना भी कर दिया जा रहा है तो कई जगह निश्शुल्क की बजाय पैसों में यह खाद्य सामग्री दी जा रही है। मगर किसानों की संख्या को बढ़ते देख लग रहा है कि यहां फिर से पहले जैसी ही स्थिति होने जा रही है। लंगर के लिए भी समुचित व्यवस्था का इंतजाम किया जा रहा है।
किसानों का कहना है कि वे तीन कृषि कानून रद होने तक के यहां से वापस नहीं जाएंगे। यह विरोध सिर्फ सरकार की ओर से हमारे आंदोलन को समाप्त करने की एक साजिश है। हम इन साजिशों जल्द ही पर्दाफाश कर देंगे। सरकार की ओर से इंटरनेट बंद किया गया है। इंटरनेट चालू होने के बाद हम तुरंत इन सब साजिश को बेनकाब कर देंगे और हमारा आंदोलन पहले की तरह आगे भी चलता रहेगा जब तक कि तीनों कृषि कानूनों को रद ना किए जाए।
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