दसवीं कक्षा के टॉपरों ने जाने विज्ञान और ब्रह्मांड के रहस्य
गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय में इंस्पायर इन्टर्नशिप साइंस कैंप के दौरान बतौर विशेषज्ञ पहुंचे कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्रो. पवन कुमार शर्मा पहुंचे
जागरण संवाददाता, हिसार : विज्ञान को समझना है तो बेहतर प्रश्न करना आना चाहिए। बेहतर प्रश्न तभी किए जा सकते हैं, जब विद्यार्थी संबंधित विषय को गहनता व एकाग्रता से पढ़े व उसे जानने का प्रयास करे। प्रश्न ही विद्यार्थी की मूल जिज्ञासा को शांत करता है। विषय विशेषज्ञ केवल विषय पर बोलता है। विद्यार्थी ने क्या समझा या वो क्या और समझना चाहता है, यह उसके द्वारा पूछे गए प्रश्नों से ही पता चलता है। यह बात वीरवार को गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय में इंस्पायर इन्टर्नशिप साइंस कैंप के दौरान बतौर विशेषज्ञ पहुंचे कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्रो. पवन कुमार शर्मा ने कही। प्रो. शर्मा 'लर्निंग टू स्पिन दा व्हील ऑफ साइंस' विषय पर विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। कैंप में दूसरे दिन प्रतिभागियों ने विज्ञान एवं ब्रह्मांड के रहस्यों के बारे में जाना। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्रायोजित इस शिविर में हरियाणा प्रदेश के दसवीं कक्षा के टॉपर विद्यार्थी भाग ले रहे हैं। ये प्रतिभागी 11वीं कक्षा में विज्ञान विषयों को पढ़ रहे हैं। इस शिविर का उद्देश्य प्रतिभागियों में विज्ञान के प्रति और अधिक रूचि पैदा करना है।
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ब्रह्मांड का अंत होगा या नहीं यह अभी तय नहीं : प्रो. अशोक कुमार
आइआइटी रूड़की के प्रो. अशोक कुमार जैन ने 'न्यूक्लीयाई एंड कॉसमॉस' विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने नाभिक व ब्रह्मांड के बारे में प्रतिभागियों को बताया। उन्होंने बताया कि ब्रह्मांड लगभग 14 बिलियन वर्ष पूर्व बना माना जाता है। खगोलीय व्यवस्था बहुत बाद में स्थापित हुई मानी जाती है। ब्रह्मांड में मानव की विकास यात्रा तो अभी अपने आरंभिक चरण में ही है। उन्होंने कहा कि अभी तक यह पूर्णतया साबित नहीं हो पाया है कि ब्रह्मांड का अंत होगा या नहीं और अंत होगा तो कब होगा। शाम के सत्र में प्रतिभागियों ने विश्वविद्यालय की प्रयोगशालाओं का भ्रमण किया। शिविर के संयोजक प्रो. रवि भाटिया ने बताया कि शुक्रवार को प्रतिभागियों को पंजाब विश्वविद्यालय के प्रो. डेजी बातिस तथा गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की प्रो. सुनीता श्रीवास्तव संबोधित करेंगी। शिविर में प्रो. देवेन्द्र मोहन व प्रो. सुजाता सांघी भी उपस्थित रहे।