विरोध : स्कूल पूरी व्यवस्था से खुले नहीं कि सरकार ने शिक्षकों को थमा दिए सर्वे और गणना जैसे कार्य
शिक्षकों को शिक्षा विभाग ने सर्वे परिवार पहचान पत्रों की आय की गणना करने जैसे कई कार्यों में व्यस्त कर दिया है। परेशान शिक्षकों ने इस मामले को लेकर अपने अपने स्तर से विरोध करना भी शुरू कर दिया है।
हिसार, जेएनएन। अभी स्कूलों को अच्छी तरह खुले कुछ दिन ही हुए हैं कि शिक्षकों के लिए नया सिरदर्द शुरू हो गया है। स्कूल खुले नहीं कि शिक्षकों को शिक्षा विभाग ने सर्वे, परिवार पहचान पत्रों की आय की गणना करने जैसे कई कार्यों में व्यस्त कर दिया है। अब जब शिक्षक यही काम करेंगे तो शिक्षण कार्य काैन कराएगा इस पर सवाल बना हुआ है। परेशान शिक्षकों ने इस मामले को लेकर अपने अपने स्तर से विरोध करना भी शुरू कर दिया है। यही कारण है कि सर्व कर्मचारी संघ से संबंधित हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के बैनर तले खंड हिसार-द्वितीय के अध्यापकों ने धरना भी दिया और अधिकारियों को ज्ञापन भी दिया है।
क्या कहते हैं शिक्षक नेता
शिक्षक नेताओं का कहना है कि शिक्षा विभाग रणनीति के तहत शिक्षकों को बदनाम कर सार्वजनिक शिक्षा को काॅरपोरेट के हाथों सौंपने पर आमदा है। कोरोना महामारी के कारण स्कूल लगभग 1 वर्ष बाद खुले हैं। सर्वे आदि काम वास्तव में शिक्षा विभाग के कार्य नहीं है, फिर भी कराए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर अलग-अलग फाउंडेशनों को शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों को सौंपा जा रहा है। अभी हाल ही में जारी फरमान के तहत भाषा एवं गणित कक्षा (1-3) दो निजी फाउंडेशन पढ़ाएंगे। इसका हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ पूरजोर विरोध कर दिया है। सरकार को चाहिए था कि अध्यापक और बच्चों के शिक्षक स्तर को सुधारने के लिए और महामारी के कारण पैदा हुए गैप को भरने के लिए अध्यापकों को अधिक से अधिक समय बच्चों के बीच रहने दिया जाए। हरियाणा सरकार एवं शिक्षा विभाग सोची समझी रणनीति के तहत अध्यापकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में उलझा कर शिक्षा को तहस-नहस करना चाहती है।
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आंदोलन की दी चेतावनी
राज्य उपप्रधान अलका ने बताया कि स्थानांतरण, पदोन्नति, एसीपी, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, छात्रों की प्रोत्साहन राशियां, एलटीसी सहित अन्य व्यक्तिगत मामले काफी लंबे समय से लंबित चल रहे हैं जिसके फलस्वरूप भ्रष्टाचार को बढ़ावा भी मिल रहा है। शिक्षकों की सरकार से मांग है कि आर्थिक कटौतियों को बहाल करे, गैर शैक्षणिक कार्यों पर शीघ्र रोक लगाई जाए तथा शिक्षक को अधिक से अधिक समय कक्षा में बच्चों के बीच रहने दिया जाए अन्यथा अध्यापक संघ आंदोलन को और तेज करने पर मजबूर होगा जिसकी पूर्ण जिम्मेवारी शिक्षा विभाग हरियाणा सरकार की होगी।