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School Games: रोहतक में औपचारिकता बने स्कूली खेल, अंडर-11 में बच्चाें ने लगाई नंगे पैर दौड़

राजीव गांधी स्टेडियम में शनिवार को कराए जा रहे अंडर-11 एथलेटिक्स मुकाबलों में बच्चों से नंगे पैर दौड़ लगाई गई। जानकारों की मानें तो स्टेडियम में एथलेटिक्स के अलग अलग मुकाबले कराए गए हैं। जिनमें कुल 35 खिलाड़ी की प्रतिभा करने पहुंचे।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 03:35 PM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 03:35 PM (IST)
School Games: रोहतक में औपचारिकता बने स्कूली खेल, अंडर-11 में बच्चाें ने लगाई नंगे पैर दौड़
रोहतक में जिला स्तरीय अंडर-11 प्रतियोगिता में नंगे पांव धोड़ लगाता खिलाड़ी।

जागरण संवाददाता, रोहतक। देश की खेल राजधानी कहे जाने वाले हरियाणा के रोहतक जिले में मौलिक शिक्षा विभाग की ओर से कराए जा रहे जिला स्तरीय अंडर-11 खेल महज औपचारिकता बन गए हैं। बल्कि यह कहना गलत नहीं होगा कि यहां खेलों के नाम पर फजीहत कराई जा रही है। इन स्कूली खेलों में अनेक खामियां सामने आई है कि प्रदेश सरकार की ओर से ग्राउंड लेवल पर खेल प्रतिभाओं को निखारने के दावे हवा हो रहे हैं। एक तरफ तो सरकार की ओर से छोटी आयु के खिलाड़ियों के टेलेंट को निखारने के दावे किए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर शनिवार को स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से कराए गए अंडर-11 एथलेटिक्स मुकाबलों में केवल औपचारिकताएं निभाई गई।

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राजीव गांधी स्टेडियम में शनिवार को कराए जा रहे अंडर-11 एथलेटिक्स मुकाबलों में बच्चों से नंगे पैर दौड़ लगाई गई। जानकारों की मानें तो स्टेडियम में एथलेटिक्स के अलग अलग मुकाबले कराए गए हैं। जिनमें कुल 35 खिलाड़ी की प्रतिभा करने पहुंचे। जिला स्तरीय अंडर-11 आयु के खेलों में पूरे जिले से केवल 35 बच्चों का ही प्रतिभाग करना किसी फजीहत से कम नहीं कहा जा सकता है। इससे साफ है कि जिला स्तर पर बच्चों की न तो तैयारियां कराई गई और न ही उन तक सूचनाएं पहुंची है। 

खेलों में अपने बच्चों के साथ आए एक अभिभावक ने बताया कि उनको भी इन खेलों की कुछ दिन पहले तक कोई सूचना नहीं थी। लेकिन वह स्टेडिमय में अकसर प्रैक्टिस कराने आते हैं, उसी समय उनको इन खेलों की सूचना मिली थी। ऐसे में विभाग के अधिकारियों की ओर से सरकारी आदेशों का कितनी गंभीरता से पालन किया जा रहा है। यह आसानी से समझा जा सकता है। यही नहीं, स्टेडियम में भले ही कुल 35 खिलाड़ियों ने प्रतिभाग किया हो, लेकिन जानकारों की मानें तो इन खिलाड़ियाें के खेल मुकाबलों में 20 से अधिक शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है।

ऐसे हालातों में जिला मौलिक शिक्षा विभाग किस तरह से खेलों को बढ़ावा दे रहा है, यह अभिभावकों की समझ से परे हैं। 

अभिभावकों में रोष

उधर, इन खेलों को लेकर अभिभावकों में भी रोष है। उनको कहना है कि खेलों अधिक से अधिक बच्चों को प्रतिभाग करना चाहिए तभी अच्छे खिलाड़ी तैयार हो सकते हैं। लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से खेलों के नाम पर केवल औपचारिताएं निभाई जा रही है। चंडीगढ़ में बैठे विभाग के आला अधिकारी भी जमीनी स्तर पर इनका औचक निरीक्षण नहीं करा रहे हैं। जिस कारण अनेक खेल प्रतिभाएं इन मुकाबलों से वंचित भी रह रही है। 

मौलिक शिक्षा विभाग निभा रहा है औपचारिकता

अभिभावक संघ के प्रधान यशवंत सिंह ने बताया कि स्कूली अंडर-11 खेलों के नाम पर मौलिक शिक्षा विभाग की ओर से केवल औपचारिकता निभाई जा रही है। इन छोटे बच्चों में छिपी खेल प्रतिभाओं को निखारने के दावे तो सरकार कर रही है। लेकिन वास्ताव में हकीकत सबके सामने हैं, बच्चों से नंगे पैर दौड़ लगाना नियमों के विरुद्ध है। इससे बच्चों को मनोबल भी गिरता है। वहीं चोटिल होने की संभावनएं भी अधिक रहती है। ऐसे में अधिकारियों को गंभीरता दिखानी चाहिए और ड्रेस कोड के साथ बच्चों को खेल गतिविधियों में भाग लेने देना चाहिए। 

अधिकारियों के निर्देशों पर होता है आयोजन

सहायक जिला शिक्षा अधिकारी खेल अनिल हुड्डा ने बताया कि विभाग के आला अधिकारियों के निर्देशाें पर ही स्कूली खेलों का आयोजन किया जा रहा है। खेलों की तिथि की सूचना मिलते ही जिला स्तर पर स्कूलों को सूचना दे दी गई थी। विभाग की ओर से खिलाड़ियों को अधिक से अधिक सुविधाएं दिए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। 


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