एक बार में 38 एकड़ क्षेत्र में थर्मल स्कैनिग करती है सेटेलाइट, नहीं पकड़ती चूल्हे की आग
फसल अवशेष जलाने के मामलों में सुप्रीम कोर्ट से लेकर जिला स्तर तक इस बार मॉनीटरिग हो रही है। इसकी सेटेलाइट से भी निगरानी हो रही है। हरसेक प्रशासन बताता है कि सेटेलाइट एक बार में 3
जागरण संवाददाता, हिसार : फसल अवशेष जलाने के मामलों में सुप्रीम कोर्ट से लेकर जिला स्तर तक इस बार मॉनीटरिग हो रही है। इसकी सेटेलाइट से भी निगरानी हो रही है। हरसेक प्रशासन बताता है कि सेटेलाइट एक बार में 38 एकड़ रेडियस को कवर करती है। अगर इस क्षेत्र में कहीं आग लगी है तो वह उसे पकड़ लेगी। सेटेलाइट के थर्मल सेंसर सिर्फ बड़ी आग को ही पकड़ते हैं। चूल्हे की आग को चिह्नित करने में यह सक्षम नहीं है। सेटेलाइट 375 बाई 375 मीटर के क्षेत्र की बर्निग को ही पकड़ सकती है।
पहली बार दो सेटेलाइट का किया जा रहा प्रयोग
हरसेक के डायरेक्टर डा. वीएस आर्य बताते हैं कि पहले नासा की सोआमी सेटेलाइट के जरिए हरसेक एक्टिव फायर बर्निग वाले स्थानों का डाटा लेता था। इस साल अमेरिकन नोआ नाम की सेटेलाइट का प्रयोग भी किया जा रहा है, ताकि चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जा सके। इन दोनों के डाटा को सरकारी विभागों के साथ साझा किया जा रहा है।
सेटेलाइट कैसे देती है बेहतर आंकडे
उन्होंने बताया कि दरअसल किसी भी सेटेलाइट से डाटा लिया जाए वह एक अनुमानित आंकड़ा देती है। मगर हमारे पास प्रदेश से जुड़ी बाउंड्री डिटेल, थर्मल पॉवर स्टेशन, इंडस्ट्री जैसे फिल्टर हैं। उस डाटा के ऊपर हम इन फिल्टर को लगा देते हैं, जिसके बाद हमें पता चल जाता है कि यह आग खेतों में ही लगी है। सेटेलाइट चूंकि 35 एकड़ के रेडियस को चिह्नित करती है, ऐसे में कई बार खेतों में भीतर जाने पर आग मिलती है, जबकि लोकेशन कुछ और भी आ सकती है। ---------------------
गंभीरता से निगरानी करें नोडल अधिकारी : उपायुक्त
उपायुक्त डा. प्रियंका सोनी ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर नियुक्त सभी नोडल अधिकारी फसली अवशेष जलाने की घटनाओं पर गंभीरता से निगरानी करें।
- जिले के किसी भी स्थान यदि पराली जलाने की घटना होती है, तो उस पर त्वरित कार्यवाही करें।
- इसी प्रकार से जिला मुख्यालय, उपमंडल व गांव स्तर की कमेटियां भी अलर्ट पर रहें।
- फसल अवशेष जलाने की घटनाओं पर कार्यवाही में लापरवाही पाई गई तो संबंधित की जवाबदेही तय करते हुए विभागीय कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।