जीजेयू में डिस्टेंस एजुकेशन डिपार्टमेंट के डिप्टी डायरेक्टर के निधन से शोक की लहर
रेवाड़ी निवासी डा. संजय तिवारी ने 2005 में गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय में ज्वाइन किया था। पहले कांट्रेक्ट पर ज्वाइन किया था। जिसके बाद नियमित हुए। उनका हार्ट अटैक से निधन हो गया है।
हिसार, जेएनएन। गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय के लिए यह साल दुखद रहा है। अभी विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार समेत उनकी दो बहनों की सड़क दुर्घटना में मौत के शौक से उभर भी नहीं पाया था। वहीं अब हार्ट अटैक आने से विश्वविद्यालय के दुरस्थ शिक्षा विभाग के उपनिदेशक डा. संजय तिवारी की शहर के निजी अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई। शनिवार शाम चार बजे उन्हें विश्वविद्यालय स्थित आवास में हार्ट अटैक आया, जिसके बाद उन्हें शहर के निजी अस्पताल में दाखिल करवाया गया था। जहां उनके दो ऑपरेशन भी किए गए।
लेकिन ऑपरेशन के कुछ समय बाद रात 8 बजे के करीब उनकी मौत हो गई। डा. संजय तिवारी कुछ समय पहले ही दो जुड़वा बच्चों के पिता बने थे। जिनमें लड़की व लड़का है। डा. संजय के पिता ससुर उनके साथ ही रहते थे। अपने पीछे दो बच्चों और पत्नी को छोड़ गए। डा. संजय तिवारी प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी थे, 6 फीट से अधिक हाइट थी। स्वभाव भी हंसमुख था। वह प्रतिदिन योगा भी करते थे। पूरे विश्वविद्यालय में उनकी मौत की सूचना से मातम छा गया।
हरियाणा सेंट्रल यूनिवर्सिटी में भी रहे थे एसोसिएट प्रोफेसर
मुख्यत: रेवाड़ी निवासी डा. संजय तिवारी ने 2005 में गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय में ज्वाइन किया था। पहले कांट्रेक्ट पर ज्वाइन किया था। जिसके बाद नियमित हुए। हरियाणा सेंट्रल यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर भी रहे थे।
कार्यकारी परिषद् के भी सदस्य थे
डा. संजय तिवारी पिछले वर्ष ही कार्यकारी परिषद् के सदस्य चुने गए थे। वहीं हाल ही में भंग की गई गजुटा कार्यकारिणी के वाइस प्रेजीडेंट भी थे। डिस्टेंस एजुकेशन विभाग में करीब तीन महीने पहले ही उपनिदेशक बनाए गए थे। विश्वविद्यालय के सभी लोग उनके व्यवहार को पसंद करते थे।
बजट जैसे फाइनांस के मुद्दो पर हमेशा रखते थे अपनी राय
हिंदी व अंग्रेजी अखबारों में वह ऑडिटोरियल लिखते रहते थे। फाइनांस में स्पेशलिस्ट होने के चलते बजट जैसे गंभीर मुद्धों पर अपनी राय रखते थे। इनकी बजट को लेकर अवधारणाएं कई समाचार पत्रों में नियमित रूप से प्रकाशित होती रही है।
----डा. संजय तिवारी का जाना, विश्वविद्यालय के लिए बहुत बड़ी क्षति है। कर्मठ आदमी थे, सकारात्मक सोच रखते थे, काम को हमेश बढिया करने के बारे में सोचते थे। डिस्टेंस एजुकेशन का बहुत सा काम देख रहे थे। कार्यकारी परिषद् के सदस्य चुने गए थे। पब्लिक उनको बहुत लाइक करती थी। बहुत दुख की घड़ी है।
---प्रो. टंकेश्वर कुमार, कुलपति, गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय, हिसार।