रोहतक पीजीआइ विशेषज्ञ बोले, डबल डोज के बाद भी हो सकते संक्रमित, लेकिन क्रिटिकल नहीं होगी स्थिति
ओमिक्रोन वैरिएंट में मरीजों को तेज बुखार ही आ रहा है। स्वास्थ्य पर कम ही असर डाल रहा है। इस वैरिएंट के केवल दो प्रतिशत लोगों को ही अस्पताल की आवश्यकता होगी। जबकि डेल्टा में 19 प्रतिशत मरीज अस्पताल पहुंचे थे।
रोहतक, विक्रम बनेटा। वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने के बाद भी आप कोविड संक्रमित हो सकते लेकिन आपकी स्थिति गंभीर नहीं होगी। वैक्सीन आपकी एंटी बाडी इतनी मजबूत बना देगी कि कोविड आपके लंग्स पर अटैक नहीं कर पाएगा। कोविड से बचाव दो तरीके से ही संभव है, जिसमें एक तो आपको वैक्सीन लगी हो या फिर आपको एक बार पहले कोविड हो चुका हो। दोनों ही परिस्थिति में आपके अंदर एंटीबाडी विकसित हो जाती है, जो कि आपको कोविड के दौरान गंभीर होने से बचाते हैं। यह कहना है पीजीआइ के पल्मोनरी क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के डा. धुर्व चौधरी का। उनके अनुसार मरीजों में ब्रेक थ्रू इंफेक्शन देखने को मिल रहा है। वर्तमान में इस पर रिसर्च चल रहा है, उसके बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।
वैक्सीन से एंटीबाडी होती है तैयार, जो काेविड में नहीं बिगड़ने देगी स्थिति
डा. चौधरी के अनुसार कोविड टेस्टिंग में वैरिएंट केवल उन्हीं केसों में जानने का प्रयास हुआ है, जो कि विदेशों से आ रहे हैं। हर केस का वैरिएंट अभी यहां पता नहीं किया जा रहा है। लेकिन लक्षणाें से पता लग रहा है कि अभी डेल्टा के ही केस अधिक हैं। यह कोई जरुरी नहीं है कि अब डेल्टा केस नहीं आएंगें, केवल ओमिक्रोन आएगा। डेल्टा के संपर्क में आए व्यक्ति से डेल्टा वैरिएंट केस ही बढ़ेंगे। प्रदेश में जीनोम सीक्वेंसिंग लैब से पहली रिपोर्ट बुधवार को आनी शुरु हो जाएगी, उसके बाद अधिक सैंपल के वैरिएंट यहां से पता चल सकेंगे।
ओमिक्रोन में केवल तीन प्रतिशत मरीज को पड़ेगी अस्पताल की आवश्यकता
ओमिक्रोन वैरिएंट में मरीजों को तेज बुखार ही आ रहा है। स्वास्थ्य पर कम ही असर डाल रहा है। इस वैरिएंट के केवल दो प्रतिशत लोगों को ही अस्पताल की आवश्यकता होगी। जबकि डेल्टा में 19 प्रतिशत मरीज अस्पताल पहुंचे थे। वहीं इसके पांच प्रतिशत को तो आइसीयू में जाना पड़ा था। डेल्टा की अपेक्षा ओमिक्रोन का मृत्यु दर भी कम ही रहेगी।