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हिसार में रोबोटिक ब्लैडलेस लेजर से होगा मोतियाबिद का इलाज

इस तकनीक से सफेद मोतियाबिद की सर्जरी के बाद मरीज दो दिन के बाद अपने जीवन में सामान्य कामकाज कर सकता है। हिसार के 100 से 150 किलोमीटर के दायरे में इस तरह की तकनीक पहली बार उपलब्ध करवाई गई है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 05:56 AM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 05:56 AM (IST)
हिसार में रोबोटिक ब्लैडलेस लेजर से होगा मोतियाबिद का इलाज
हिसार में रोबोटिक ब्लैडलेस लेजर से होगा मोतियाबिद का इलाज

जागरण संवाददाता, हिसार : तायल गार्डन स्थित आइ-क्यू सुपर स्पेशियलिटी आइ हॉस्पिटल्स (अग्निहोत्री आई अस्पताल) ने नए कैटलिस प्रिसिजन लेजर सिस्टम की शुरुआत की है। बुधवार को अस्पताल के संस्थापक और सीएमडी डा. अजय शर्मा ने प्रेस वार्ता में बताया कि हाल ही में कैटालिस प्रिसिजन लेजर सिस्टम लगाया गया है, जो सर्जन को मोतियाबिद सर्जरी में परिणाम की सटीकता और गुणवत्ता प्रदान करने में मदद करेगा।

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डा. शर्मा ने बताया कि इस तकनीक से सफेद मोतियाबिद की सर्जरी के बाद मरीज दो दिन के बाद अपने जीवन में सामान्य कामकाज कर सकता है। हिसार के 100 से 150 किलोमीटर के दायरे में इस तरह की तकनीक पहली बार उपलब्ध करवाई गई है। डा. शर्मा ने कहा कि लॉकडाउन के कारण वर्क फ्राम होम और बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस ने आंखों के मरीजों को बढ़ा दिया है। लगातार कंप्यूटर या लैपटॉप केसामने बैठकर काम करने या फिर बच्चों द्वारा मोबाइल फोन में ऑनलाइन क्लास लेने के कारण आंखों पर बुरा प्रभाव हुआ है। वहीं बढ़ते प्रदूषण और बढ़ते मधुमेह के कारण मोतियाबिद से प्रभावित होने की उम्र की सीमा घट रही है। पहले मोतियोबिद 60 से अधिक उम्र वालों को अधिक होता था लेकिन अब 50 से अधिक उम्र वालों में भी मोतियोबिद बढ़ा है।


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