बधाई के आ रहे थे फोन, 7 दिन में छीनी नौकरी, महिला कंडक्टरों ने फिर संभाला चौका-चूल्हा
राडवेज बसों की हड़ताल के दौरान बहू निर्मला ने अपनी तीन महीने की बेटी को अपनी सास की गोद में छोड़ नौकरी ज्वाइन की थी तो वहीं बेटी शैफाली आइएएस की तैयारी के लिए नौकरी करना चाहती थी
जेएनएन, सिरसा। हरियाणा में रोडवेज बसों में पहली बार महिला परिचालकों ने ड्यूटी ज्वाइन की, इसमें कुल तीन महिलाओं में से रेवाड़ी की शर्मिला तो वहीं सिरसा की निर्मला और शैफाली शामिल रही। बदलाव की ये बयार शुरू होने पर हर ओर इनके चर्चे थे तो वहीं रिश्तेदार बधाई को लेकर इन्हें फोन कर रहे थे। मगर ये सिलसिला एक सप्ताह ही चला और इन युवतियों से नौकरी छीन ली गई। ऐसा नहीं कि इनसे काेई गलती हुई बल्कि रोडवेज की हड़ताल खत्म होने पर जैसे ही पक्के कर्मचारी काम पर लौटे तो रोडवेज विभाग की ओर से आउट सोर्सिंग के तहत भर्ती किए गए सभी कर्मचारियों को घर का रास्ता दिखा गया। इन कर्मचारियों में तीनों युवतियां भी शामिल थी।
अब फिर पुरानी दिनचर्या पर लौटी जिंदगी
रोडवेज बस में परिचालक का दायित्व निभाने वाली गांव खारी सुरेरां निवासी निर्मला व हुडा सेक्टर निवासी शैफाली हांडा की नौकरी जाने से अब उनकी जिंदगी फिर से पुरानी दिनचर्या पर लौट चुकी है। शैफाली अब घर पर आगे की पढ़ाई कर रही है वहीं निर्मला ने फिर से घरेलू दायित्वों की जिम्मेवारी संभाल ली है। खेत जाती है, पशुओं के लिए हरा चारा लाती है, घर का कामकाज देखती है और अपनी तीन माह की बेटी की परवरिश कर रही है।
270 कर्मचारियों को किया था भर्ती, अब निकाला
कर्मचारियों द्वारा की गई हड़ताल के दौरान सरकार के आदेश पर रोडवेज प्रशासन ने ठेके पर चालक परिचालक रख कर बसें चलाने का ऐलान किया था। इसी कड़ी में आऊटसोर्सिंग पॉलिसी एक के तहत चालकों परिचालकों की भर्ती की गई थी। इस कड़ी में 140 चालक व 130 परिचालक भर्ती किए गए थे। बीते शनिवार को रोडवेज प्रबंधन ने गांव खारी सुरेरां निवासी निर्मला को प्रदेश की पहली महिला परिचालक के रूप में नियुक्ति दी थी और अगले दिन रविवार को सिरसा के एचएसवीपी सेक्टर 20 निवासी शैफाली मांडा को भी परिचालक नियुक्त किया था। दोनों ही महिला परिचालकों की नियुक्ति पर रोडवेज प्रबंधन ने खुशी जाहिर की थी और इसे सरकार की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नीति से जोड़ा था।
नौकरी जाने का नहीं बड़े बड़े दावे करने का दुख : निर्मला
गांव खारी सुरेरां निवासी निर्मला का कहना है कि उसे नौकरी चले जाने का दुख नहीं है परंतु इतना जरूर है कि सरकार ने मीडिया के माध्यम से उसकी ज्वानिंग के समय प्रचार किया था। ये गलत हुआ है। परमानमेंट नही तो कांट्रेक्ट बेस पर रख सकते थे। तीन महीने से पहले ही हटा दिया है।
तीन महीने की बेटी को छोड़ा था घर
निर्मला ने कहा कि घर के सारे कामकाज छोड़कर तथा अपनी तीन महीने की दूधमुंही बच्ची को घर छोड़कर नौकरी करने गई थी, सरकार को हमारे बारे में कुछ सोचना चाहिए। हड़ताल खत्म होते ही हमसे बक्से जमा करवा लिए गए और कहा गया कि आपको कल से नहीं आना जबकि ज्वाइनिंग के समय पूरे प्रदेश में वेकेंसी को लेकर पूरा प्रचार किया गया।
सोचा था नौकरी करके आत्मनिर्भर बनूंगी
अपनी सेवाएं समाप्त किए जाने पर शैफाली मांडा कहती है कि विभाग ने बिना नोटिस दिए उसे हटा दिया और ज्वाइनिंग के समय भी कुछ लिखकर नहीं दिया था। वे खुश है कि हड़ताल खत्म हो गई है और पुराने कर्मचारी लौट आए है। एक सप्ताह तक परिचालक के तौर पर सेवा करके खुश हूं।
नौकरी मिली थी तो खुश थी सोचा था पढ़ाई के लिए परिवार वालों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा परंतु अचानक हटाने के आदेश आ गए, अब क्या किया जा सकता है। परिवहन मंत्री ने भर्ती में विशेष छूट दिए जाने की बात कही है। उच्च शिक्षित हूं और अगर विभाग दोबारा सेवाएं देने का मौका देगा तो तैयार हूं। मुख्यमंत्री बेटियों के लिए योजनाएं चला रहे हैं, रोडवेज में भी महिला परिचालकों के लिए सीटें आरक्षित हों।