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Harappan Civilization: भिवानी में हड़प्पाकालीन तिगड़ाना के पशु धन पर पुणे बैकम कालेज में होगा अनुसंधान, टीम ने 50 सैंपल भेजें

हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय जांट पाली टीम के अधिकारियों के अनुसार तिगड़ाना खेड़े में खोदाई का कार्य जारी है। यह अभियान 15 अक्टूबर तक जारी रहेगी। खोदाई कार्य में लगी टीम उत्साहित है और पूरे जोरशोर से लगी है। तिगड़ाना की इस साइट को सबसे विकसित साइट बताया जा रहा है।

By Naveen DalalEdited By: Published: Wed, 06 Oct 2021 03:16 PM (IST)Updated: Wed, 06 Oct 2021 03:16 PM (IST)
तिगड़ाना के पशुओं का पुणे बैकम कालेज में होगा अनुसंधान।

सुरेश मेहरा, भिवानी। हड़प्पाकालीन तिगड़ाना के नागरिकों में कौन सा पशुधन प्राथमिकता में था। पालतु और जंगली जानवर कौन से कैसे होते थे। बैल की तरह किसानी के प्रयोग में दूसरे कौन से पशु काम आते थे। इन सब पर पूना का बैकम कालेज अनुसंधान करेगा। तिगड़ाना में खोदाई कार्य में जानवरों की बड़ी मात्रा में हड्डियां मिली हैं। हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय जांट पाली की टीम इस खोदाई कार्य में लगी है। यहां से लिए गए 50 सेंपल पुणे के बैकम कालेज में अनुसंधान के लिए भेजे गए हैं। अगले 10 दिन में अनुसंधान के परिणाम आने शुरू हो जाएंगे। पशु धन की नई जानकारी को लेकर उत्सुकता बनी हुई है। 

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तिगड़ाना खेड़ा में 15 तक जारी रहेगा उत्खनन 

हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय जांट पाली टीम के अधिकारियों के अनुसार तिगड़ाना खेड़े में खोदाई का कार्य जारी है। यह अभियान 15 अक्टूबर तक जारी रहेगी। खोदाई कार्य में लगी टीम उत्साहित है और पूरे जोरशोर से लगी है। तिगड़ाना की इस साइट को सबसे विकसित साइट बताया जा रहा है। यहां खोदाई के दौरान नगरीय जीवन, यहां प्रयोग होने वाले आभूषण घरेलू चीजें मिली हैं। तांबा धातु के अलावा अलग-अलग तरह के पत्थर से बनी अनेक चीजें हड़प्पाकाल की जीवन शैली को दर्शाने वाली मिल रही हैं।

वैज्ञानिक बताएंगे तिगड़ाना का कैसा था पांच हजार साल पहले पशुधन 

तिगड़ाना में चल रही खोदाई के दौरान मिली जानवरों की हड्डियों के सेंपल भेजे गए हैं। इन सेंपल पर पुणे बैकम कालेज के वैज्ञानिक अनुसंधान करेंगे। दो तीन दिन में इन सेंपल पर अनुसंधान शुरू हो जाएगा। अगले 10 दिन में इस अनुसंधान के परिणाम आने शुरू हो जाएंगे।

तिगड़ाना में हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय जांट पाली टीम के सदस्यों द्वारा की गई खोदाई में पालतु पशुओं और जंगली जानवरों की हड्डियां मिली हैं। उनके 50 सेंपल बैकम कालेज पुणे में भेज दिए हैं। इस पर अनुसंधान शुरू होगा और तिगड़ाना के इतिहास पर नई जानकारी बहुत जल्द सामने आएगी। सरकार भी इस क्षेत्र को लेकर दिलचस्पी ले रही है। 


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