बहादुरगढ़ में महापंचायत में राकेश टिकैत बोले - लाल किला मुर्दों का घर, हमें तो वहां जाना ही नहीं था
बहादुरगढ़ बाईपास पर दलाल खाप की ओर से आयोजित महापंचायत में राकेश टिकैत ने 26 जनवरी को लाल किले पर झंडा फहराने के प्रकरण में कहा कि यह सरकार की साजिश थी। एक युवा को बहका कर वहां झंडा फहराया गया। किसानों को तो वहां जाना ही नहीं था।
बहादुरगढ़, जेएनएन। कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन के बीच आज शुक्रवार को झज्जर की बड़ी खाप दलाल 84 की महापंचायत हो रही है। बहादुरगढ़ में बाईपास पर जहां ट्रैक्टर-ट्रालियों का जमावड़ा है वहीं पर महापंचायत के आयोजन के लिए बड़ा मंच लगाया गया है। बहादुरगढ़ बाईपास पर दलाल खाप की ओर से आयोजित महापंचायत में भीड़ जुटी है। राकेश टिकैत व गुरनाम समेत अन्य किसान नेता पहुंचे। राकेश टिकैत ने कहा कि ये आंदोलन एक युद्ध है और इसे हम जीतेंगे।
राकेश टिकैत ने दलाल खाप का आभार जताया। उन्होंने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि पंजाब के लोगों को अफगानिस्तानी बताया गया। हमें बांटने की कोशिश की। 4 लाख ट्रेक्टर आये 25 लाख किसान आए। एक बालक को बहका कर लाल किले भेज दिया। लाल किला तो मुर्दों का घर है। वहां नहीं जाना था। वहां सब इनके ही आदमी थे।
उन्होंने कहा सरकार और प्रेस जो कहे उसका उल्टा समझना है। हमने कहा बिल वापस ले लो। बिल बाद में बने पहले गोदाम तो बन जाए। किसानों को भूखे भेडियो के सामने छोड़ा जाएगा। आनाज को कैद करने की साजिश है। रोटी को तिजोरी की चीज न बनने देना। हमारी मांग 3 कानून वापस हों और Msp का कानून बने। मुकदमे वापस लिए जाए।
टिकैत ने कहा कि सरकार कह रही है कि पुराना ट्रेक्टर नही चलेगा। ये कैसा कानून है। सरकारी गाड़ी के पास कागज नहीं हमारे चालान काटे जा रहे हैं। पंचायतें किसान की आजादी की लड़ाई लड़ रही हैं। हल चलाने वाला अब हाथ नहीं जोड़ेगा। किसान अधिकारी के सामने हाथ नहीं जोड़ेगा। 40 लाख ट्रैक्टरों काे इस आंदोलन से जोड़ने का लक्ष्य है।
गुरनाम चढूनी ने कहा कि आरएसएस वाले आजादी के भी विरुद्ध थे। इनका देश की आजादी में कोई योगदान नहीं है। आज ये देश के ठेकेदार बन रहे हैं। आज ये हमें लड़ा रहे हैं। हमारी लड़ाई आर्थिक आजादी की है। हम फसल का न्यूनतम भाव मांग रहै हैं। 3 से 4 लाख करोड़ हम घाटे में जा रहे हैं। मोदी जूठे थे और हमेशा रहेंगे। Bjp jjp वाले नेता हमारे गांव में आए तो इनको घुसने नहीं देंगे। सरकार ने 30 से 35 मामले दर्ज किए हैं। सरकार अब मान जाए, कहीं हमें अंगुली टेढ़ी न करनी पड़ जाए। सरकार राज हठ पर अड़ी है। ये अच्छी बात नहीं है। तुम लोग रामदेव की कंपनी का बनाया सामान न खरीदना। मुझ पर बीजेपी के गुंडे 3 बार हमला कर चुके हैं। चाह रहे हैं कि आंदोलन की रूप रेखा बदल जाये। हरियाणा के लोग अब जाग चुके हैं। देश में आंदोलन फैल चुका है। गुरनाम चढूनी ने कहा पगड़ी मत देखना मैं हरियाणा का ही हूं।
सभी की नजर इस महापंचायत के मंच से होने वाले ऐलान पर टिकी हुई है। वैसे तो कई दिनों से अलग-अलग हिस्सों में महापंचायतों का दौर चल रहा है, लेकिन बहादुरगढ़ इस आंदोलन का एक अहम केंद्र है ऐसे में यहां पर इस तरह की महापंचायत पहली बार हो रही है। इसमें राकेश टिकैत समेत तमाम संयुक्त मोर्चे के नेताओं को बुलाया गया है।
प्रदेश भर की खापों से इस महापंचायत में शामिल होने का आह्वान किया गया है। आंदोलन में शुरुआत से ही दलाल खाप सक्रिय है। टीकरी बॉर्डर पर भी खाप ने डेरा डाला हुआ है और बाईपास पर लगातार भंडारा चल रहा है। दलाल खाप ने यह तय किया है कि जिस मसले को लेकर यह महापंचायत हो रही है केवल उसी की बात की जाए। कोई राजनीतिक बात न हो।
दलाल खाप की महापंचायत में जुटी किसानों की भीड़
मंच पर अलग थलग नजर आए चढूनी
दलाल खाप की महापंचायत में राकेश टिकैत और गुरनाम चढूनी एक साथ मंच पर तो पहुंचे मगर वे अलग थलग नजर आए। राकेश टिकैत जहां मंच के बीच में तो गुरमना चढूनी वहां से करीब 15 फीट की दूरी पर बैठे थे। उनके पास बैठे अन्य लोग भी अन्य गतिविधियों में लगे हुए थे। चढूनी की भाव भंगिमाएं भी उनके अकेले से पड़ने की स्थिति को बयां कर रही थी। चढूनी को लेकर हाल ही में पैदा हुए विवाद के बाद उन्हें किसानों ने सिर आंखों पर बैठाया था मगर एक बार फिर से अब इस आंदोलन में नया कुछ नजर आने लगा है।
बार-बार बदल रहा मौसम भी खड़ी कर रहा परेशानी
मौसम का मिजाज लगातार बदल रहा है। ऐसे में आंदोलनकारियों को भी अपनी व्यवस्था बार-बार बदलनी पड़ रही है। शुक्रवार सुबह में मौसम साफ था, लेकिन अचानक धुंध घिर आई। पिछले दो दिनों से लगातार सुबह के समय धुंध छा रही है। मौसम विशेषज्ञों की ओर से 15 फरवरी तक बारिश की संभावना भी जताई जा रही है। यदि बारिश होती है तो तापमान में एक बार फिर से गिरावट आ सकती है।