एमपी लैड खर्च करने में राज्यसभा सदस्य डा. सुभाष चंद्रा आगे, डीपी वत्स ने अधिकांश कार्यों को मंजूरी दी
लोकसभा और राजयसभा के सदस्यों काे उनके क्षेत्र में विकास कार्य कराने के लिए एमपी लैड योजना के तहत फंड दिया जाता है। सांसद निधि भी कहते हैं। सांसदों व सदस्यों को प्रतिवर्ष पांच करोड़ रुपए दिए जाते हैं जो ढाई- ढाई करोड़ की दो किश्तों में प्राप्त होते हैं।
हिसार, जागरण संवाददाता। हिसार में तीन सांसद व राज्य सभा सदस्य हैं। जिसमें लोकसभा सांसद बृजेंद्र सिंह, राज्य सभा सदस्य डा. सुभाष चंद्रा और राज्य सभा सदस्य डा. डीपी वत्स शामिल हैं। इन तीनाें सांसद व सदस्यों ने अभी तक सबसे अधिक डा. सुभाष चंद्रा को एमपी लैड के तहत ग्रांट मिली है। उन्हें अभी तक 12.50 करोड़ रुपये की ग्रांट मिल चुकी है। जबकि डा डीपी वत्स को 10 करोड़ तो लोकसभा सांसद बृजेंद्र को पांच करोड़ रुपये योजना में मिले हैं। दो वर्ष तक एमपी लैड योजना पर ब्रेक लगने के बाद एक बार फिर से फंड का प्रयोग हो रहा है। इसमें एमपी लैड योजना में धनराशि खर्च करने में राज्य सभा सदस्य डा. सुभाष चंद्रा सभी माननीयों से आगे हैं। वहीं राज्य सभा सदस्य डा. डीपी वत्स ने सबसे अधिक 243 विकास कार्यों को स्वीकृत किया है।
क्या होती है एमपी लैड योजना
लोकसभा और राजयसभा के सदस्यों काे उनके क्षेत्र में विकास कार्य कराने के लिए एमपी लैड योजना के तहत फंड दिया जाता है। जिसे सांसद निधि भी कहते हैं। जिसमें सांसदों व सदस्यों को प्रतिवर्ष पांच करोड़ रुपए दिए जाते हैं, जो ढाई- ढाई करोड़ की दो किश्तों में प्राप्त होते हैं। इस धनराशि को संसदीय क्षेत्र का उपायुक्त एक बैंक खाते में रखता है फिर इस निधि को सांसदों के निर्देश के अनुसार खर्च किया जाता है। इस फंड का दुरूपयोग न हो इसके लिए इस योजना में समय-समय पर समीक्षा भी की जाती है। इसके साथ प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी भी एमपी लैड के लिए बनाया जाता है। गौरतलब है कोविड के आने के बाद कुछ समय के लिए एमपी लैड योजना का सस्पेंड कर दी गई थी।
यह है हिसार के तीन माननीयों का एमपी लैड योजना का लेखा जोखा
विवरण- सांसद बृजेंद्र सिंह- सदस्य डा. डीपी वत्स- सदस्य डा. सुभाष चंद्रा
कुल फंड मिला- 5 करोड़- 10 करोड़ - 12.50 करोड़
ब्याज- 0- 7.32 लाख- 27.67 लाख
फंड मौजूद- 5 करोड़- 10.07 करोड़- 12.77 करोड़
कार्य आबंटित किया- 18- 293- 144
फंड रिलीज- 2.10 करोड़- 7.98 करोड़- 13.10 करोड़
खर्चा- 15.6 करोड़- 6.56 करोड़- 10.4 करोड़
उपयोग प्रमाण पत्र मिला- 12 कार्य- 252 कार्य- 108 कार्य
कार्य पूरा मगर यूसी नहीं मिली- 3 कार्य- 6 कार्य- 3 कार्य
कार्य प्रगति पर है- 0- 3- 0
कार्य शुरू नहीं हुआ- 2- 28- 30
रिफंड- 1 - 4- 3