किसान आंदोलन : महिला दिवस पर टीकरी बॉर्डर पर पहुंचे पंजाब-हरियाणा से जत्थे, महिलाएं संभाल रही मंच
पंजाब-हरियाणा से महिलाओं के जत्थे पहुुंचे हुए हैं। जहां पर भी संभाएं चल रही हैं वहां पर पूरा संचालन महिलाओं को सौंपा हुआ है। वक्ता भी आज सिर्फ महिलाएं हैं। सभी जगहों पर मंच उन्हीं को समर्पित कर रखे हैं।
बहादुरगढ़, जेएनएन। आज आंदोलन के बीच महिला दिवस मन रहा है। पंजाब-हरियाणा से महिलाओं के जत्थे पहुुंचे हुए हैं। जहां पर भी संभाएं चल रही हैं, वहां पर पूरा संचालन महिलाओं को सौंपा हुआ है। वक्ता भी आज सिर्फ महिलाएं हैं। सभी जगहों पर मंच उन्हीं को समर्पित कर रखे हैं। श्रोताओं में भी महिलाओं की संख्या आज आम दिनों के मुकाबले कई गुना ज्यादा है। एक तरफ इस दिवस पर नारी सशक्तिकरण पर बल दिया जा रहा है तो दूसरी तरफ आंदोलन के बीच नारी शक्ति के योगदान पर भी चर्चा हो रही है। अब तक आंदोलन में सहयोग और समर्पण देने वाली 111 महिलाएं आज टीकरी बॉर्डर पर सम्मानित हो रही हैं।
दरअसल, 26 जनवरी से पहले भी महिलाएं इस आंदोलन में पहुंची थी, मगर संख्या कम रहती थी। दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के दौरान जो हिंसा हुई और उसके बाद आंदोलन में हरियाणा की सक्रियता बढ़ी, तब से धरनों पर महिलाओं की उपस्थिति और आवाजाही में भी खूब इजाफा हुआ है। टीकरी बॉर्डर को ही लें तो यहां पर गणतंत्र दिवस के बाद जो परस्थितियां बदली उसकी तस्वीर अब साफ देखी जा सकती है। अब हरियाणा के विभिन्न गांवों से ट्रैक्टर-ट्रालियों में पहुंचने वाली महिलाएं मंच पर गीत भी प्रस्तुत करती हैं।
उसमें आंदोलन का गुणगान करती हैं और सरकार को कोसती हैं। खुद किसान नेता अब मंच से रोजाना महिलाओं की भागीदारी को आंदोलन की धुरी ठहरा रहे हैं। पंजाब से बसों में सवार होकर यहां पहुंची महिलाओं को भी शायद यह अहसास नहीं रहा होगा कि इस बार का महिला दिवस उन्हें दिल्ली की सीमा पर आंदोलन के बीच मनाना होगा, लेकिन जितनी भी महिलाएं यहां पहुंची हैं, उनमें जोश है।