अब दिखने के लगे पंजाब के किसानो के ठाठ-बाट, किसान आंदोलन स्थल पर बनाए फार्म हाउस
बहादुरगढ़ में सेक्टर नौ बाईपास से लेकर जाखौदा बाईपास पर जगह-जगह बनाए गए आकर्षक पार्क व ग्रीन फार्म हाउसों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है। तीन कृषि कानूनों के विरोा में आंदोलन कर रहे किसानों ने बाईपास पर पहले तो जगह-जगह अपने-अपने गांव बसाए थे।
बहादुरगढ़, जेएनएन। बहादुरगढ़ बाईपास पर अब पंजाब के किसानों के ठाठ बाट दिखाई देने लगे हैं। पंजाब के किसान फार्म हाउसों में रहने के काफी शौकीन हैं। इसकी बानगी सेक्टर नौ बाईपास से लेकर जाखौदा बाईपास पर जगह-जगह बनाए गए आकर्षक पार्क व ग्रीन फार्म हाउसों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है। तीन कृषि कानूनों के विरोा में आंदोलन कर रहे किसानों ने बाईपास पर पहले तो जगह-जगह अपने-अपने गांव बसाए थे। अब इन गांवों को फार्म हाउसों की तर्ज पर सजाया जा रहा है। साज-सज्जा करने के लिए किसान पुरानी चीजों का यानी बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट का भी सहारा ले रहे हैं।
बहादुरगढ़ बाईपास पर किसानों की ओर से सैंकड़ों की संख्या में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर सैंकड़ों की संख्या में गांव बसाए हैं। 26 नवंबर के बाद से ही किसानों ने टीकरी बॉर्डर से लेकर जाखौदा बाईपास चौक तक अपना डेरा डाल दिया था। इस दौरान जगह-जगह किसानों ने अपने गांव बसा दिए थे। अब यहां पर किसानों की ओर से सड़क किनारे बने डिवाइडर और ग्रीन बेल्ट को फार्म हाउस की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है। उन्हें सजाया जा रहा है। हर गांव को एक नई पहचान दी जा रही है। एक दूसरे की देखा-देखी सभी किसान अपने-अपने गांव के सामने फार्म हाउस की तर्ज पर सुसज्जित पार्क व अन्य सुविधाएं जुटा रहे हैं।
सड़क के डिवाइडर व ग्रीन बेल्ट पर गंदगी की सफाई करके वहां पर फार्म हाउस आदि बनाए जा रहे हैं। इसमें बैठकर किसान ताश खेल और हुक्का गुड़गुड़ाते हुए अपना समय बिता रहे हैं। मानुके गिल के कुछ किसानों ने सबसे पहले सेक्टर नौ बाईपास के साथ लगती ग्रीन बेल्ट पर एक पार्क विकसित किया था और उसे अब फार्म हाउस की तरह बना दिया गया है। उसके साथ-साथ कंकड़वाल आदि गांव के किसानों ने भी बाईपास के साथ में गंदगी साफ करके पार्क बनाया था।
यहां पर आने वाले बाईपास पर आंदोलन कर रहे किसानों ने इसकी देखा-देखी अपने गांवों के सामने सफाई करके मिट्टी डालकर उन्हें पार्क व फार्म हाउसों की तर्ज पर सजाना शुरू कर दिया। अब फार्म हाउसों व पार्काें की संख्या ज्यादा हो गई है। कोई फूल, पौधे तो बांस के बंबू व टाटी से सजा रहा है तो कोई आकर्षक कुर्सियां आदि डालकर भी आंदोलन के दौरान अपने जीवन को ऐशो-आराम से जोड़ रहे हैं। जिला फरीदकोट के बारगड़ी कला के लोगों ने कसार चौक के पास ऐसा ही एक फार्म हाउस व पार्क सजाया है।