शहीदी दिवस पर युवाओं की उपस्थिति कम रहने से अब भारत बंद को लेकर चिंता में आंदोलनकारी
आंदोलन स्थलों पर युवाओं की जितनी भीड़ की उम्मीद थी उससे आधी भी नहीं पहुंची। ऐसे में अब आंदोलनकारियों को 26 मार्च के भारत बंद को लेकर चिंता है। वह इसलिए कि यदि भारत बंद का आह्वान बेअसर रहता है तो आंदोलन कमजोर पड़ सकता है।
बहादुरगढ़, जेएनएन। शहीदी दिवस पर आंदोलन स्थलों पर युवाओं की जितनी भीड़ की उम्मीद थी, उससे आधी भी नहीं पहुंची। ऐसे में अब आंदोलनकारियों को 26 मार्च के भारत बंद को लेकर चिंता है। वह इसलिए कि यदि भारत बंद का आह्वान बेअसर रहता है तो आंदोलन कमजोर पड़ सकता है। यही सोचकर आंदोलनकारी अब कमर कस रहे हैं। सभी ट्रेड यूनियनों, व्यापारिक और कर्मचारी संगठनों से सहयोग लेकर भारत बंद को सफल बनाने को आंदोलनकारियाें ने कमर कसी हुई है। पिछले दिनों रेलवे स्टेशनों के बाहर जब ट्रेड यूनियनों और कर्मचारी संगठनों ने धरने-प्रदर्शन का ऐलान किया था तो उसमें किसान संगठनों ने भी शामिल होने की घोषणा की थी, मगर ऐसा नहीं हो सका।
बहादुरगढ़ में सभी मिलाकर 35-40 लोग ही प्रदर्शन करने पहुंचे थे। इनमें किसान तो इक्का-दुक्का ही थे। अब शहीदी दिवस पर 23 मार्च को जिस तरह से युवाओं की उपस्थिति कम रही, उसे किसान संगठन भी कहीं न कहीं असहज हुए हैं। खुद पंजाब के किसान संगठनों के नेताओं ने मंच से यह बात स्वीकारी कि जितने युवा यहां पर पहुंचने चाहिए थे, उतने नहीं पहुंचे। संख्या काफी कम रही। जबकि महिला दिवस पर पंजाब और हरियाणा से हजारों महिलाएं यहां पहुंची थी, लेकिन युवा दिवस पर आंदोलन के बीच इस तरह का उत्साह देखने को नहीं मिला।
संयुक्त मोर्चा ने 26 मार्च को तो पूर्णतया भारत बंद का आह्वान कर रखा है और 28 मार्च को होलिका दहन में कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई जाएंगी। अब पूरा जोर इसी बात पर है कि भारत बंद का व्यापक असर हो, ताकि आंदोलन को लेकर सरकार पर दबाव बनाया जा सके।