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हरियाणा में गिरे सब्जियों के दाम, टमाटर, प्याज से लेकर सलाद वाली सब्जियां भी सस्‍ती

लाल होते टमाटर व तीखे होते प्याज के दामों ने लोगों को राहत दी है। करीब 15-20 दिन के अंतराल में सब्जियों की कीमत में 10-15 रुपये की गिरावट दर्ज की गई है। कीमत के साथ-साथ लोगों का जेब खर्च भी घटा है। अब सब्जियों की कीमतों में कमी है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Sun, 27 Dec 2020 03:28 PM (IST)Updated: Sun, 27 Dec 2020 03:28 PM (IST)
हरियाणा की मंडियों में बढ़े सब्जियों के दाम अब बेहद कम हो गए हैं। (फाइल फोटो)

झज्जर, जेएनएन। पिछले दिनों सब्जियों की कीमतों में काफी तेजी देखने को मिली थी। जिससे लोगों की जेब पर अतिरिक्त खर्च भी बढ़ गया था। इसलिए लोगों ने सब्जियों खरीदने की मात्रा में भी कम कर दी थी। लेकिन अब लाल होते टमाटर व तीखे होते प्याज के दामों ने लोगों को राहत दी है। करीब 15-20 दिन के अंतराल में सब्जियों की कीमत में 10-15 रुपये की गिरावट दर्ज की गई है। कीमत के साथ-साथ लोगों का जेब खर्च भी घटा है। अब सब्जियों की कीमतों में कमी आने लगी है। किसान आंदोलन के चलते जहां दिल्ली से सब्जियां आना बंद हुआ, वहीं विकल्प में दूसरे प्रदेशों से दिल्ली पहुंचने वाली सब्जियां सीधे ही मंडी में पहुंच रही है।

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जिसके कारण आवक बाधित नहीं हो रही। जिससे कीमत में हुई बढ़ोतरी अब कम होने लगी है। पिछले एक पखवाड़े में आई कमी का एक कारण स्थानीय सब्जियों का मंडियों में आना भी माना जा रहा है। फिलहाल मंडी में ग्राहकों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। जिससे मासाखोरों व आढ़तियों ने राहत की सांस ली है। पिछले समय से ग्राहकों की कमी उन्हें खल रही थी। हरियाणा के ज्‍यादात्‍तर शहरों में सब्जियों के दाम एक साथ ही घट और बढ़ रहे हैं।

सब्जियां 15 दिन पहले       अब

मटर                   35             20

गाजर             15-16           8-9

घीया              15-16            10

आलू              30                10

फूल गोभी      15-16          6-8

पत्ता गोभी       13-14         7-8

टमाटर            30-35    18-20

प्याज             30-32       20-22

नोट : सभी भाव थोक के हैं, दुकानों व रे‍हडि़यों पर भाव में अंतर मिल सकता है।

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दिल्ली बॉर्डर बंद होने के कारण दिल्ली से आने वाले वाहनों का आवागमन भी थम गया। इसलिए दिल्ली से मंडियों में पहुंचने वाली सब्जियां भी प्रभावित हुए। आवक कम होने के कारण कीमतों में भी बढ़ोतरी हो गई थी। लेकिन जो सब्जियां दूसरी मंडियों से पहले दिल्ली जाती थी और बाद में झज्जर व अन्य मंडियों में आती थी। अब आढ़ती सब्जियों को सीधे ही दूसरी मंडियों में मंगवाने लगे हैं। खासकर जयपुर मंडी से अधिक सब्जियां आ रही है। जयपुर मंडी से टमाटर, खीरा, बैंगन, मिर्च, नींबू, लहसुन, शकरकंद झज्जर व अन्य मंडियों में पहुंच रही है। वहीं अलवर मंडी से प्याज बैंगन आदि सब्जियां आ रही हैं। इससे कीमतों में कमी आई है।

स्थानीय सब्जियां भी मंडियों में पहुंच रही है। बाहर से आने वाली सब्जियों की कीमत बढ़ी तो लोगों ने स्थानीय सब्जियों को खरीदना आरंभ कर दिया। इसका असर यह हुआ कि सब्जियों की मांग कम होने से कीमत में भी कमी आई। फिलहाल गाजर, मूली, पालक, फूल गोभी आदि स्थानीय सब्जियां मंडियों में पहुंच रहे हैं। इनकी मांग भी अच्छी है।

मंडियों में बढ़े ग्राहक, लौटी रौनक

कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन के दौर में लोगों ने सब्जी मंडियों से रुख ही मोड़ लिया था। जिस कारण सब्जी मंडियों की यह हालत थी कि काफी कम ग्राहक आने के कारण सब्जियां भी पूरी नहीं बिक पाती थी। जिससे मजबूरन सब्जियां खराब होने के कारण उन्हें फेंकना पड़ता था। लेकिन अब समय के साथ-साथ ग्राहक भी बढ़े हैं। कोरोना महामारी के पहले की स्थिति के मुकाबले अब 80-90 फीसद ग्राहक मंडियों में पहुंचने लगे हैं। जिससे मंडियों में चहल-पहल बढ़ गई है।

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'' पिछले 15 दिनों में सब्जियों की कीमतों में काफी कमी आई है। इसका कारण स्थानीय सब्जियों की आवक व दिल्ली को छोड़कर अन्य मंडियों से सब्जी सीधे मंडी में आना भी है। इससे ग्राहकों की राहत मिली है। वहीं ग्राहकों की संख्या भी धीरे-धीरे बढ़ रही है। फिर से मंडियों की व्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है।

                                              - सुनील यादव, राज्य उप प्रधान, हरियाणा सब्जी मंडी आढ़ती एसोसिएशन।


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