किसान आंदोलन से संबंधित केसों की पुलिस ने सरकार को भेजी रिपोर्ट, अब ऊपरी आदेशों का इंतजार
किसान आंदोलन खत्म होने के बाद अब इससे संबंधित केसों को लेकर पुलिस को ऊपरी आदेशों का इंतजार है । सरकार की ओर से आंदोलन खत्म होने से पहले आंदोलन से संबंधित केस वापसी का आश्वासन दिया गया था।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। एक साल से ज्यादा लंबे समय तक चला आंदोलन खत्म होने के बाद अब इससे संबंधित केसों को लेकर पुलिस को ऊपरी आदेशों का इंतजार है । सरकार की ओर से आंदोलन खत्म होने से पहले आंदोलन से संबंधित केस वापसी का आश्वासन दिया गया था। सरकार की ओर से इसको लेकर हाल ही में रिपोर्ट मांगी गई थी। उसके आधार पर बहादुरगढ़ के तमाम थानों से जानकारी दी गई है। पुलिस द्वारा इस रिपोर्ट में बताया गया है कि किस थाने में कितने मामले किसान आंदोलन से संबंधित दर्ज हैं।
अब इनमें से कितने केस रद किए जाते हैं । यह उच्च अधिकारियों की ओर से सरकार के फैसले के अनुसार तय किया जाएगा। संगीन धाराओं में दर्ज मामलों को लेकर तो सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि ऐसे मामले वापस लिए जाने की संभावना नहीं है। सड़क जाम करने और दूसरी हल्की धाराओं में जो केस दर्ज है, उन पर ही विचार किया जा रहा है। हालांकि इनमें क्या कार्रवाई की जाएगी यह आदेश अभी पुलिस के पास नहीं आए हैं। बहादुरगढ़ में सबसे पहला आंदोलन से जुड़ा केस आसौदा थाना में दर्ज किया गया था।
बहादुरगढ़ की सीमा में प्रवेश से पहले आंदोलनकारियों द्वारा रोहद और सांपला के बीच में लगाए गए बैरिकेड को तोड़ने के आरोप में यह मामला दर्ज किया गया था। यहां पर आंदोलनकारियों द्वारा पुलिस के एक वाहन के शीशे भी तोड़ दिए गए थे। उसमें एक पुलिसकर्मी को भी मामूली चोट आई थी। इसके बाद सेक्टर 9 मोड़ पर बैरिकेड को तोड़ने के आरोप में शहर थाना में केस दर्ज किया गया था। उसके बाद आंदोलन से जुड़े कई केस थानों में दर्ज किए गए। आंदोलन के दौरान कई बार सड़क जाम करने, रेलवे ट्रैक जाम करने समेत विभिन्न आरोपों में केस दर्ज किए गए।
अकेले केएमपी एक्सप्रेस वे को ही जाम करने के आरोप में पुलिस ने दो केस दर्ज किए थे। एक मामले में तो राकेश टिकैत और गुरनाम चढूनी को भी नामजद किया गया था। इसके अलावा रेलवे थाना में रलवे ट्रैक को जाम करने के आरोप में दो केस दर्ज है। वैसे तो आंदोलन के दौरान बंगाल की युवती से सामूहिक दुष्कर्म किए जाने, कसार गांव के एक युवक को तेल डालकर जिंदा जलाने और आंदोलन में पंजाब से आए किसान की गला काटकर हत्या किए जाने के अलावा पंजाब के किसान द्वारा अपने साथी की लाठी मारकर हत्या किए जाने के केस भी दर्ज हुए लेकिन इनका सरकार से कोई वास्ता नहीं।
ये रंजिशन और मानव विरुद्ध अपराध है। इनमें तो पुलिस कार्रवाई जारी है। सामूहिक दुष्कर्म के मामले में तो अभी गिरफ्तारी भी बकाया है। बाकी अन्य मामलों में गिरफ्तारी हो चुकी हैं। कुल मिलाकर जो केस आंदोलन से संबंधित है और हल्की धाराओं में दर्ज है उन्हें ही रद करने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।