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पीएम मोदी ने किया प्रेरित, देसी नस्ल के तीन कुत्तों को मिली जेनेटिक पहचान, कमाल की हैं खूबियां

आइसीएआर के करनाल स्थित राष्ट्रीय पशु अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो ने इन नस्लों को पंजीकृत किया है। इन कुत्तों की नस्लों में तमिलनाडु की चिप्पीपराइ डॉग व राजापलायम डॉग हिमालयन भूटिया डॉग शामिल हैं। गजट जारी होते ही देसी नस्ल के कुत्तों की जेनेटिक विशेषताओं को भी साझा किया जाएगा।

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 09 Oct 2020 08:26 PM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2020 07:21 AM (IST)
देश में कुत्तों की तीन देसी नस्लों का जेनेटिक पंजीकरण कराया गया है।

हिसार [वैभव शर्मा] भारतीय नस्ल के पशुओं में काफी खूबियां हैं। मगर विज्ञान की भाषा में कई पशु गुणों के बावजूद अपनी अनुवांशिक (जेनेटिक) पहचान पाने से अछूते हैं। अब देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है तो पशुओं की भारतीय नस्लों को भी पहचान मिलनी शुरू हो गई है। अगस्त माह में मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय नस्ल के कुत्तों का प्रयोग करने को लेकर प्रेरित किया था। जिसके बाद भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) पशु विज्ञान डिविजन ने देश में कुत्तों की तीन देसी नस्लों का जेनेटिक पंजीकरण कराया है।

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आइसीएआर के करनाल स्थित राष्ट्रीय पशु अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो ने इन नस्लों को पंजीकृत किया है। इन कुत्तों की नस्लों में तमिलनाडु की चिप्पीपराइ डॉग व राजापलायम डॉग, हिमालयन भूटिया डॉग शामिल हैं। तीनों की अलग-अलग खासियत है। जेनेटिक पंजीकरण के बाद अब आइसीएआर आधिकारिक गजट जारी होते ही आधिकारिक घोषणा करेगा। गजट जारी होते ही देसी नस्ल के कुत्तों की जेनेटिक विशेषताओं को भी साझा किया जाएगा।

इन ब्रीडों में यह हैं खासियत

चिप्पीपराइ डॉग- तमिलनाडु के मदुरैय में चिप्पीपराइ टाउन के नाम पर इस नस्ल का नाम पड़ा है। यह दुबले पतले शरीर के और ऊंचे होते हैं। यह शिकार के लिए पहले प्रयोग होते रहे हैं। यह दृष्टिगोचर होते हैं। खास बात है कि इनका आखों का विजन 270 डिग्री तक का है, जो सामान्य से काफी अधिक है। इनका वजन मांसपेशियों व हड्डियों से ही होता है।

राजापलायम डॉग- राजपालयम को पोलगर हाउंड या इंडियन घोस्ट हाउंड के नाम से भी जाना जाता है। यह दक्षिणी भारतीय कुत्ते की नस्ल है। पूर्व में दक्षिण भारत में इनका प्रयोग शिकारी और रक्षक के रूप में किया जाता रहा है। इस कुत्ते को 12 साल की उम्र होती है। आमतौर पर इसकी लंबाई 65 सेंटीमीटर तो 30 किलो ग्राम होता है।

भूटिया डॉग- हिमालयन शीप डॉग के नाम से मशहूर भूटिया डॉग जाना जाता है। इसका वजन 23 से 41 किलोग्राम तो लंबाई 76 सेंटीमीटर तक हो सकता है। इस नस्ल की खास बात है कि यह खतरनाक वर्फीले मौसम में भी अच्छे से काम करता है। इसका प्रयोग शिकार के लिए हिमालय की पहाडिय़ों में होता रहा है।  

पीएम ने यह गिनाईं थी खासियत

पीएम ने कहा था कि आपदा प्रबंधन और बचाव मिशन में कुत्ते महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत में एनडीआरएफ ने दर्जनों ऐसे कुत्तों को प्रशिक्षित किया है। ये कुत्ते भूकंप या इमारत गिरने के मलबे के नीचे फंसे लोगों का पता लगाने में विशेषज्ञ हैं। हमारे सुरक्षा बलों ने भी भारतीय नस्ल के कुत्तों को उनके डॉग स्क्वॉड में शामिल किया है और प्रशिक्षित किया है।

जेनेटिक पंजीकरण में आई है तेजी

आइसीएआर पशु डिविजन लगातार देसी नस्ल को बढ़ावा देने का काम कर रहा है। संस्थानों में विज्ञानी जैसे-जैसे पशुओं को लेकर शोध कर रहे हैं उनता ही अधिक पशुओं को जेनेटिक पंजीकरण का काम भी तेजी से हुआ है। हाल ही में करनाल स्थित राष्ट्रीय पशु अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो में विभिन्न पशुओं की 13 नई नस्लों को पंजीकृत कराया गया है।

------हम देश की कई स्थानीय नस्लों को बढ़ावा दे रहे हैं। इसी के तहत पीएम के मन की बात कार्यक्रम से प्रेरित होकर तीन देसी नस्लों के कुत्तों का अनुवांशिक पंजीकरण कराया है। इसका आधिकारिक गजट जारी होने का इंतजार कर रहे हैं। गजट जारी होते ही देश के सामने आधिकारिक रूप से इन कुत्तों की विशेषताएं देश के समक्ष रखी जाएंगी।

--------डा. बीएन त्रिपाठी, डिप्टी डायरेक्टर जनरल, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषण (पशु विज्ञान डिविजन)


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