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पीजीआई रोहतक की जूनियर रेजीडेंट निलंजना सरकार ने दो बार दी कोरोना को मात, बखूबी निभाई ड्यूटी

नमो दैव्ये महा दैव्ये डा. निलंजना कहती हैं कि दूसरी बार संक्रमित होने पर बहुत ज्यादा परेशान थी। घर से दूर होने पर लगा कि कभी वापस नहीं जा पाऊंगी इस दौरान पति ने मानसिक मजबूती दी। सीनियर्स लगातार काउंसिलिंग करते थे। फोन पर रिश्तेदार भी हौसला बढ़ाते थे।

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 03:41 PM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 03:41 PM (IST)
पीजीआई रोहतक की जूनियर रेजीडेंट निलंजना सरकार ने दो बार दी कोरोना को मात, बखूबी निभाई ड्यूटी
कोरोना को दो बार मात देने वाली निलंजना सरकार अपने पति अनिक चक्रवर्ती के साथ

रोहतक, जेएनएन। मूल रूप से पश्चिम बंगाल निवासी व पीजीआइएमएस में जूनियर रेजीडेंट निलंजना सरकार जून 2020 में रोहतक आई। एनेस्थिसिया में स्पेशलाइजेशन के लिए यहां आई थी। पति अनिक चक्रवर्ती को भी साथ में एडमिशन हो गया, वह कम्युनिटी मेडिसन विभाग में स्पेशलाइजेशन कर रहे हैं। रोहतक आने के फैसले के समय कोविड की स्थिति सामान्य थी, लॉकडाउन की वजह से संक्रमण तेजी से नहीं फैला था। यहां आते ही कोविड ड्यूटी लग गई। कुछ दिनों में संक्रमण भी तेजी से बढऩे लगा। किसी तरह खुद को संभालकर ड्यूटी जारी रखी। लेकिन, जब संक्रमित हुई तो घबरा गई थी।

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डा. निलंजना एक नहीं दो बार कोविड से संक्रमित हुई, लेकिन दोनों ही बार स्वस्थ होकर कोविड संक्रमितों की सेवा में जुट गई। इस दौरान संक्रमितों के स्वस्थ होकर घर जाने से लेकर सामने ही मौत होते देखी। कोविड वार्ड में ड्यूटी का एक किस्सा बताते हुए डा. निलंजना कहती हैं कि एक अम्मा थी, वह संक्रमित होने के बाद यहां आई। मुझे उनसे बात करना अच्छा लगता था। वह हल्की सी भी तकलीफ होने पर घबरा जाती थी। उन्हें समझाना पड़ता था। जब वह स्वस्थ होकर घर लौटी तो आत्मसंतोष हुआ। मैं घर में पहली डाक्टर हूं। मेरे ब्रांच एनेस्थिसिया को लेकर जरूर घर में थोड़ी अलग राय थी। ड्यूटी के दौरान पॉजिटिव आई, उस वक्त खुद को संभाल लिया। लेकिन, जब नवंबर माह में दूसरी बार पॉजिटिव रिपोर्ट आई तो तनाव में आग गई थी। मां से फोन पर बात करते हुए रोने लगी। चाहती थी कि उनके पास चली जांऊ लेकिन, कोई चारा नहीं था।

पति और सीनियर्स ने बढ़ाया हौसला

डा. निलंजना कहती हैं कि दूसरी बार संक्रमित होने पर बहुत ज्यादा परेशान थी। घर से दूर होने पर लगा कि कभी वापस नहीं जा पाऊंगी इस दौरान पति ने मानसिक मजबूती दी। सीनियर्स लगातार काउंसिलिंग करते थे। फोन पर रिश्तेदार भी हौसला बढ़ाते थे। मैं खुद से ज्यादा पति के बारे में सोच कर परेशान हो जाती थी, उनके लिए भी भी मेरी तरह ही शहर और संस्थान एकदम नए थे। इससे कुछ ही दिन पहले पति और मेरा बाइक एक्सीडेंट भी हो गया था। किसी तरह खुद को संभाले रखा।


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