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पहली बार हरियाणा में उगा आर्गेनिक केला खाएंगे प्रदेशवासी, ड्राई जमीन पर तैयार की फसल

एचएयू ने एक एकड़ फार्म पर केला लगाकर किया था प्रयोग छह महीने में ही तैयार हुई फसल। गोबर की खाद जीवामृत जैसे रसायनरहित प्रयोगों से तैयार हुआ केला

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 24 Sep 2019 04:42 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 08:28 AM (IST)
पहली बार हरियाणा में उगा आर्गेनिक केला खाएंगे प्रदेशवासी, ड्राई जमीन पर तैयार की फसल
पहली बार हरियाणा में उगा आर्गेनिक केला खाएंगे प्रदेशवासी, ड्राई जमीन पर तैयार की फसल

हिसार [वैभव शर्मा] हरियाणा में केला अभी तक बाहरी राज्‍यों से ही आता रहा है। मगर अब हरियाणा के किसान भी लोगों को केले का स्वाद चखा सकते हैं। एचएयू यानि हरियाण कृषि विश्वविद्यालय ने पहली बार हिसार में ड्राई जमीन होने के बावजूद एक एकड़ में आर्गेनिक तरीके को अपनाकर केले की फसल उगाई है। इसमें उन्हें बड़ी सफलता मिली गई है।

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मार्च महीने में लगाए गए पौधे महज 7 माह से भी कम समय में फलदार बन चुके हैं। अक्सर हरियाणा के अधिकांश इलाकों में केले लगाने से वह पनप नहीं पाते थे। मगर जैविक तरीका और तापमान को मेंटेन करने के बाद ग्रैंड नेने वैरायटी के केले के 1280 पौधों में से अधिकांश पर 40 किलो वजनी केले उत्पन्न हो रहे हैं।

इन्हें जल्द ही एचएयू प्रशासन विश्वविद्यालय में ही बने एचएयू मार्ट के जरिए लोगों में बिक्री भी करेगा। इस केले का सबसे बड़ा फायदा है कि इसको उगाने व पकाने तक में किसी प्रकार के केमिकल का प्रयोग नहीं किया गया है। इस हिसाब से यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए निश्चित ही लाभकारी रहेगा।

जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए लगाए केले

होर्टिकल्चर में असिस्टेंट डायरेक्टर डा. सुरेश कुमार बताते हैं कि दिल्ली से लेकर इंटरनेशनल मार्केट में आर्गेनिक यानि बिना केमिकल के खेती से उत्पन्न होने वाले उत्पादों की अधिक डिमांड है। मगर अक्सर किसान विभिन्न फसलों में डीएपी, यूरिया, छिड़काव आदि करते हैं। खेती को केमिकल मुक्त बनाने के लिए एचएयू ने हाल ही में पं. दीनदयाल उपाध्याय सेंटर ऑफ एक्सेलेंस फॉर ऑर्गेनिक फार्मिंग शुरू किया है, जिसमें आर्गेनिक तरीके से खेती की गई। केले को उगाने के लिए गोबर खाद, जीवामृत जैसे देसी नुस्खों की मदद ली गई।

ड्रिप सिचाई से दिया जाता है पानी

खास बात है कि केले को अक्सर अधिक पानी की आवश्यकता होती है, मगर हरियाणा में पानी की काफी कमी है। ऐसे में केले को उगाने के लिए एचएयू ने ड्रिप सिचाई प्रणाली का प्रयोग किया। पाइपों के जरिए जितनी जरूरत है, उतना ही पानी दिया जा रहा है।

प्रदेश में इस लिए नहीं उगता था केला

दरअसल केला ऐसे इलाकों में होता है जहां मौसम एक सा रहता है। महाराष्ट्र और गुजरात के कई इलाके में केले को उगाने के लिए मौसम एकसमान रहता है इसलिए वहां पैदावार अधिक होती है, जबकि हरियाणा ड्राई स्टेट में आता है। यहां सर्दी से अक्सर केले नष्ट हो जाते थे, ऐसे में एचएयू ने आगे केले को बचाने के लिए आर्टिफीशियल तापमान की व्यवस्था भी की हुई है।

-----पं. दीनदयाल उपाध्याय सेंटर ऑफ एक्सेलेंस फॉर ऑर्गेनिक फार्मिंग के जरिए हमने सबसे पहले केले पर प्रयोग शुरू किए जो सफल रहे हैं। अब हम आंवला, अमरूद, किन्नू आदि फसलों को भी इसी तरीके से बिना केमिकल और कम पानी के उगा रहे हैं। लोगों की धारणा थी कि हिसार में केले उग नहीं सकते, अब इसका लोगों को इन केले व अन्य आर्गेनिक फलों का स्वाद चखने का मौका मिलेगा।

--प्रो. केपी सिंह, कुलपति, हरियाण कृषि विश्वविद्यालय


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