माता-पिता भूल जाते थे रोजमर्रा के काम, याद दिलाने को 12 साल के बेटे ने बनाई एप
हरियपाणा के सिरसा के डबवाली के 12 साल के लड़के के माता-पिता काे राेजमर्रा के काम अक्सर भूल जाते थे। इसके बाद लड़के ने एक मोबाइल एप बना डाला।
डीडी गोयल, डबवाली (सिरसा)। माता-पिता अक्सर रोजमर्रा के काम भूल जाते थे। छोटे-छोटे काम न होने से परिवार में टेंशन होती थी। राेज की इस परेशानी के हल के लिए 12 वर्षीय बेटे ने खास मोबाइल एप बना डाला। यह एप माता-पिता को रोजमर्रा के काम याद दिलाएगा। परिवार हर रोज मोबाइल एप पर रोजमर्रा के कार्य लिख देता है। जब तक कार्य पूरा नहीं होता तो एप नोटिफिकेशन भेजकर अलर्ट करता रहता है। यह कमाल किया है तानिश सेठी उर्फ तनु की। वह 9वीं कक्षा का छात्र है।
35एमबी की लिस्ट अप एप्लीकेशन, गूगल ने जारी किया सर्टिफिकेट
तानिश के पिता अजय सेठी जेबीटी तथा माता सरिना पंजाब में हेड टीचर हैं। अध्यापक दंपती डयूटी करते-करते पेयजल, बिजली बिल भरना जैसे कार्य नहीं कर पाते थे और इसेे भूल जाते थे। मोबाइल एप ने उनकी जिंदगी बदल दी है। तनु की एप का नाम है लिस्ट अप और 35 एमबी की है। गूगल ने इसे अप्रूव कर दिया है। आसानी से इसे प्ले स्टोर से इंस्टॉल किया जा सकता है।
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मायजीओवी.कॉम से मिली प्रेरणा
तनु को भारत सरकार की मॉयजीओवी.कॉम वेबसाइट पर जाकर क्विज प्रतियोगिता में भाग लेने का शौक है। वह वातावरण, इसरो, फएसएसएआइ जैसी मिनिस्ट्री की क्विज में कई सर्टिफिकेट प्राप्त कर चुका है। इसी वेबसाइट पर मोबाइल एप के बारे में क्विज थी।
12 वर्षीय तानिश ने क्विज का परिणाम पढ़ा तो घरेलू टेंशन दूर करने के लिए मोबाइल एप बनाने की प्रेरणा मिली। फिर क्या था उसने यू-टयूब के सहारे टिप्स जुटाने शुरु कर दिए। दो हफ्तों में मोबाइल एप लांच कर दी। बता दें, तनु शतरंज का प्रदेश स्तरीय खिलाड़ी भी है।
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सित तरह उपयोगी है तनु की एप
लिस्ट अप उन लोगों के लिए खासी उपयोगी साबित हो सकती है, जो ज्यादा व्यस्त रहते हैं। आम आदमी आसानी से इसका प्रयोग कर सकता है। दरअसल, हम जो काम करना चाहते हैं, वो इसमे दर्ज करवा दें। जब तक काम पूरा नहीं होगा, नोटिफिकेशन के जरिए हमें अलर्ट मिलता रहेगा। खास बात यह कि डेली डायरी लिखने के शौकीन इसका फायदा उठा सकते हैं।
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अप्रूव करने में गूगल ने लिए 25 डॉलर
तानिश सेठी ने अपनी मोबाइल एप को गूगल से अप्रूव करवाया है। इसके लिए उसे 25 डॉलर यानी 2 हजार रुपये फीस जमा करवानी पड़ी। हालांकि अप्रवूल के दौरान उसने अपने पिता अजय सेठी का एटीएम कार्ड प्रयोग किया तो वह ब्लॉक हो गया। बाद में उसने बाजार में क्रेडिट कार्ड का प्रयोग करके फीस जमा करवाई। गूगल को एप पसंद आई तो उसने प्ले स्टोर में डाल दिया।
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'' मैं हर रोज दो से ढाई घंटे मोबाइल एप्लीकेशन बनाने में लगाता था। 14 दिनों में यह बनकर तैयार हो गई। मैंने 20 जून को मोबाइल एप लॉंच कर दी थी। मैं सॉफ्टवेयर डिवेल्पर बनना चाहता हूं। यह मेरा पहला प्रयास है, जिसमें कामयाबी हासिल की।
-तानिश सेठी (12 वर्षीय), डबवाली।
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