Parali Problem : सिरसा में पराली प्रबंधन को लेकर अनूठी पहल, गांठे बनाकर गोशाला में की दान
पराली जलाने से उठने वाला धुंआ न केवल पर्यावरण को दूषित करता है बल्कि खेत की ऊपजाऊ शक्ति भी खत्म होती है। पर्यावरण स्वच्छता को बनाए रखने के लिए सरकार हर वर्ष पराली प्रबंधन के लिए प्रोत्साहन स्वरूप जहां विभिन्न पराली प्रबंधन कृषि उपकरण सब्सिडी पर देती है।
सिरसा, जागरण संवाददाता। सिरसा के गांव सुचान निवासी किसान नरेंद्र सिहाग पराली प्रबंधन के लिए अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ हैं। नरेंद्र सिहाग ने बेलर से पराली की गांठे बनाकर बेहतर पराली प्रबंधन की मिसाल बने हैं। उन्होंने पराली प्रबंधन के साथ-साथ गोशाला में पराली की गांठे दान करके गो सेवा का कार्य भी किया है। इस प्रकार से पराली की गांठे बनाकर गोशाला में दान करके नरेंद्र सिहाग एक पंथ दो काज की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।
पराली प्रबंधन के लिए लोगों को किया जा रहा जागरूक
पराली जलाने से उठने वाला धुंआ न केवल पर्यावरण को दूषित करता है, बल्कि खेत की ऊपजाऊ शक्ति भी खत्म होती है। पर्यावरण स्वच्छता को बनाए रखने के लिए सरकार हर वर्ष पराली प्रबंधन के लिए प्रोत्साहन स्वरूप जहां विभिन्न पराली प्रबंधन कृषि उपकरण सब्सिडी पर देती है, बल्कि पराली प्रबंधन के लिए प्रति एकड़ एक हजार रुपये भी देती है। बहुत से जागरूक किसान इन योजनाओं का लाभ उठाकर आमदनी के साथ-साथ पर्यावरण स्वच्छता बनाए रखने में अपना सहयोग दे रहे हैं। इन्हीं किसानों में जिला के गांव सुचान के नरेंद्र सिहाग भी हैं।
पराली की बनाते है गांठे
नरेंद्र सिंहाग ने बताया कि उनका परिवार 70 एकड़ में धान की खेती करते हैं। वे करीब 40 एकड़ में पराली प्रबंधन कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि वे बेलर से गांठें बनाकर पराली का प्रबंधन कर रहे हैं। वे न केवल स्वयं के खेत में पराली प्रबंधन कर रहे हैं, बल्कि दूसरे किसानों का भी पराली के प्रबंधन में सहयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि वे प्रति एकड़ एक हजार रुपये में पराली की गांठे बनाते हैं। इस प्रकार से वे ट्रेक्टर के तेल खर्च पर ही पराली का प्रबंधन कर देते हैं। इस बारे नरेंद्र कहते हैं कि पर्यावरण को स्वच्छ रखना और इसमें अपना सहयोग देना हम सबका कर्तव्य भी है। इसलिए वे स्वयं व दूसरे किसानों के खेत में पराली प्रबंधन कर अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहा हूं।
बेलर द्वारा गांठ बनाकर फसल अवशेष प्रबंधन करने वाले किसानों को मिलेेगे एक हजार रुपये प्रति एकड़
कृषि तथा किसान कल्याण विभाग द्वारा जिले में वर्ष 2021-22 के दौरान फसल अवशेष प्रबंधन स्टेट प्लान (एसबी-82) स्कीम के अंतर्गत बेलर द्वारा पराली के बंडल/गांठ बनाकर पराली प्रबंधन करने वाले धान के किसानों को अधिकतम एक हजार रुपये प्रति एकड़ या 50 रुपये प्रति क्विंटल (20 क्विंटल प्रति एकड़ पराली मानते हुए) प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। योजना का लाभ लेने के लिए किसानों का पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य है। किसानों द्वारा पराली की गांठ बेचकर रसीद प्रस्तुत करनी होगी या पंचायत जमीन पर गांठे इकट्ठी करने का पंचायत द्वारा प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होगा।