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झज्जर में किसानों ने ली पराली नहीं जलाने की शपथ, उर्वरा शक्ति रहे सुरक्षित और ना हो वायु प्रदूषण

धान की पराली जलाने की बजाए उसे पशु चारे में इस्तेमाल करते हैं। साथ ही पराली को बेचकर भी मुनाफा कमाते हैं। उनके गांव के अन्य लोग भी पराली को नहीं जलाते बल्कि पराली बेचकर अच्छी कीमत मिल जाती है। खरीददार खेत से ही पराली को उठाकर ले जाते हैं।

By Naveen DalalEdited By: Published: Sat, 20 Nov 2021 04:51 PM (IST)Updated: Sat, 20 Nov 2021 04:51 PM (IST)
झज्जर में किसानों ने ली पराली नहीं जलाने की शपथ, उर्वरा शक्ति रहे सुरक्षित और ना हो वायु प्रदूषण
किसानों ने कहा पराली को नहीं जलाते मुनाफा कमाते हैं।

झज्जर, जागरण संवाददाता। झज्जर में किसान अब पराली प्रबंधन को लेकर जागरूक होने लगे हैं। जिसके तहत झज्जर अनाज मंडी में धान लेकर किसानों ने दैनिक जागरण के अभियान पराली का समाधान है समझदारी से जुड़कर पराली नहीं जलाने की शपथ ली। साथ ही किसानों ने कहा कि वे पराली को नहीं जलाते, बल्कि पराली को बेचकर मुनाफा कमाते हैं। पराली को खरीदने के लिए खरीददार गांव में ही आ जाते हैं। साथ ही खेत से ही पराली को उठाकर ले जाते हैं। पराली के बदले उन्हें दो-तीन हजार रुपये भी मिलते हैं। इसलिए किसी भी किसान को पराली जलाने की जरूरत तक नहीं पड़ती। किसान भी अब पराली जलाने से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक हैं। जिस कारण पराली प्रबंधन पर ही जोर दे रहे हैं।

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पराली जलाने से एक तो जमीन की उर्वरा शक्ति खत्म होती है।

गांव लुक्सर निवासी निवासी जसवंत, गांव बिरधाना निवासी राज सिंह, गांव सिलानी निवासी जोगेंद्र सिंह, गांव बिरधाना निवासी बलजीत सिंह, गांव लुक्सर निवासी देवेंद्र सिंह व गांव लुक्सर निवासी विजय ने कहा कि वे सभी खेतीबाड़ी करते हैं। धान की भी बिजाई की हुई हैं। वे धान की पराली जलाने की बजाए उसे पशु चारे में इस्तेमाल करते हैं। साथ ही पराली को बेचकर भी मुनाफा कमाते हैं। उनके गांव के अन्य लोग भी पराली को नहीं जलाते, बल्कि पराली बेचकर अच्छी कीमत मिल जाती है। खरीददार खेत से ही पराली को उठाकर ले जाते हैं। जिससे दोहरा फायदा होता है। एक तो पराली नहीं जलानी पड़ती और दूसरा कुछ रुपये भी मिल जाते हैं। उन्होंने शपथ लेते हुए कहा कि वे पराली को समस्या नहीं मानेंगे। पराली का समझदारी के साथ समाधान करेंगे। साथ ही दूसरों को भी जागरूक करेंगे। ताकि सभी लोग पराली प्रबंधन पर जोर दें। पराली जलाने से जमीन व पर्यावरण दोनों पर नकारात्मक असर पड़ता है। पराली जलाने से एक तो जमीन की उर्वरा शक्ति खत्म होती है। जमीन में मौजूद मित्र सूक्ष्म कीट भी नष्ट हो जाते हैं, जिसके कारण जमीन भी खराब होती है। साथ ही पराली जलाने से वायु प्रदूषण होता है। जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। उन्होंने कहा कि वे पराली नहीं जलाते। साथ ही अब दूसरों को भी पराली नहीं जलाने के लिए जागरूक करेंगे।


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