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Parali Problem Haryana: पराली का नहीं मिल रहा है समाधान तो सुपर सीडर मशीन का करें प्रयोग

किसान बिजाई की नई तकनीक सुपर सीडर मशीन को बेहद पसंद कर रहे हैं। इस मशीन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसके इस्तेमाल से पराली का निस्तारण और किसान की बिजाई भी पूरी हो जाती है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 23 Nov 2021 11:52 AM (IST)Updated: Tue, 23 Nov 2021 11:52 AM (IST)
Parali Problem Haryana: पराली का नहीं मिल रहा है समाधान तो सुपर सीडर मशीन का करें प्रयोग
सुपर सीडर मशीन पराली जलाने की समस्या को दूर करती दिखाई दे रही है

जागरण संवाददाता, हिसार। पराली लोगों के लिए एक बड़ी समस्या बनकर पिछले कुछ वर्षों में उभरी है। हर साल सितंबर से लेकर दिसंबर तक पराली जलाने के मामले स्माग का कारण बनते हैं। सरकार और प्रशासन द्वारा हर संभव प्रयास किए जा चुके हैं, लेकिन पराली की समस्या का समाधान नहीं निकल पा रहा है। यहां तक की किसानों पर मुकदमे तक दर्ज किए जा चुके हैं। मगर सुपर सीडर मशीन पराली जलाने की समस्या को दूर करती दिखाई दे रही है।

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इस बार किसान बिजाई की नई तकनीक सुपर सीडर मशीन को बेहद पसंद कर रहे हैं। इस मशीन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसके इस्तेमाल से पराली का निस्तारण और किसान की बिजाई भी पूरी हो जाती है। किसान के कई काम एक साथ इस मशीन के जरिए निपट जाते हैं जिससे उसका खर्चा बचता है। यही कारण है कि किसान भी इसे बेहद पसंद कर रहे हैं। पराली के समाधान के रूप में प्रशासन भी इसके प्रचार के साथ-साथ किसानों को सब्सिडी भी दे रहा है।

किस प्रकार काम करती है सुपर सीडर मशीन-

किसानों को धान की फसल के बाद अन्य फसल की बुवाई के लिए अलग-अलग तरीके से जुताई करनी पड़ती है। उसके बाद ही फसल की बिजाई होती है, लेकिन सुपर सीडर को इन सब तकनीकों को साथ मिलाकर डिजाइन किया गया है। सुपर सीडर से सीधे धान की फसल की कटाई के बाद खड़ी हुई या पड़ी हुई पराली पर बिजाई कर सकते हैं। ये मशीन पराली को टुकड़ों में काटकर मिट्टी के नीचे दबा देती है और उसके ऊपर से गेहूं या सरसों की बिजाई के लिए बीज भी डालती है। ये पराली बाद में गलकर खाद का काम करती है। इससे जमीन की उर्वरक शक्ति भी बढ़ती है और फसल भी अधिक पैदा होती है।

इससे पहले धान की कटाई के बाद हैरो और रोटावेटर की जरूरत पड़ती थी और उसके बाद फिर भी दो से तीन बार ट्रैक्टर चलाना पड़ता था। जिसका खर्चा लगभग प्रति एकड़ 8 हजार रुपए आता था। अब सुपर सीडर के जरिए एक बार में ही सारे काम हो जाते हैं और खर्चा भी सिर्फ 2 हजार रुपये तक आता है. इस मशीन से हमें बड़ा फायदा हो रहा है। साथ ही मशीन के जरिए पराली का भी समाधान हो जाता है और पराली मिट्टी के नीचे दबने से खाद के रूप में जमीन की उर्वरक क्षमता भी बढ़ाती है।

इस मशीन की कीमत और सब्सिडी

इस मशीन की कीमत करीब 2 लाख रुपए होती है. हालांकि सुपर सीडर की कीमत अलग-अलग कंपनी में पावर के हिसाब से तय होती है, लेकिन हरियाणा सरकार द्वारा इस यंत्र पर व्यक्तिगत रूप से अगर कोई किसान खरीदना है तो उसे 50 फीसद का अनुदान दिया जाता है। इस यंत्र को सामूहिक रूप से कई किसान सोसाइटी के जरिए खरीदते हैं तो उस पर 80 फीसद सब्सिडी किसान को दी जाती है। कृषि विभाग के सहायक कृषि इंजीनियर गोपी राम सांगवान ने बताया कि इस सीजन में हिसार जिले में करीब 852 सुपर सीडर हम किसानों को दे चुके हैं, जिनमें से 412 इसी 2021 सीजन में दिए गए हैं. सुपर सीडर तकनीक फसल अवशेष प्रबंधन में बेहद ही लोकप्रिय है।

इस तकनीक के जरिए किसानों के सारे काम एक ही बार में हो जाते हैं। जिससे उन्हें बिजाई की लागत में भी बचत होती है। इस मशीन के प्रयोग से जमीन की पानी सोखने की क्षमता बढ़ जाती है और साथ ही उर्वरक क्षमता बढ़ने की वजह से फसल भी बेहद अच्छी पैदा होती है। हिसार जिले में सबसे ज्यादा इसी तकनीक को अपनाया जा रहा है और किसानों में जागरूकता की वजह से जिले में इस बार पराली जलाने के मामले भी बेहद कम आये हैं।


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